ताँका पाँच पंक्तियों और 5,7,5,7,7= 31 वर्णों के लघु कविता
1.हर चुनाव
बदले तकदीर
नेताओं का ही
सोचती रह जाती
ये जनता बेचारी ।।
2.लूटते सभी
सरकारी संपदा
कम या ज्यादा
टैक्स व काम चोर
इल्जाम नेता सिर ।।
3.उठा रहे है
नजायज फायदा
चल रही है
सरकारी योजना
अमीर गरीब हो ।।
4.जनता चोर
नेता है महाचोर
शर्म शर्माती
कदाचरण लगे
सदाचरण सम ।।
5.जल भीतर
अटखेली करती…
Added by रमेश कुमार चौहान on April 30, 2014 at 11:00pm — 4 Comments
कौन करे है ?
देश में भ्रष्टाचार,
हमारे नेता,
नेताओं के चम्मच
आम जनता
शासक अधिकारी
सभी कहते
हाय तौबा धिक्कार
थूक रहे हैं
एक दूसरे पर
ये जानते ना कोई
नही नही रे
मानते नही कोई
तुम भी तो हो
मै भी उनके साथ
बेकार की है बात ।
.....................
मौलिक अप्रकाशित
Added by रमेश कुमार चौहान on April 30, 2014 at 2:18pm — 6 Comments
मनहरण घनारक्षरी छंद -31 वर्ण चार चरण 8,8,8,7 पर यति चरणांत गुरू
..............................................................
झूठ और फरेब से, सजाये दुकानदारी ।
व्यपारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
वादों के वो डाले दाने, जाल कैसे बिछायें है ।
शिकारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
जात पात धरम के, दांव सभी लगायें हैं ।
जुवारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
तल्ख जुबान उनके, काट रही समाज को ।
कटारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।…
Added by रमेश कुमार चौहान on April 28, 2014 at 6:30pm — 7 Comments
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