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Vijay nikore's Blog – April 2021 Archive (2)

विदा की वह शाम ...

विदा  की  वह  शाम

 

प्रबल  झंझावात  के  बाद  मानो

दिशा-दिशा   आकुल अकथ  सुनसान

निस्तब्ध   शांत ... और  इस  पर

दिन  से सम्बन्ध  तोड़  रही

वैभव-विहीन  शाम…

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Added by vijay nikore on April 27, 2021 at 2:30pm — 2 Comments

यह रास्ते ... यह मोड़

यह रास्ते … यह मोड़
 
मुद्दतें  हो  चुकी  हैं रास्तों  को
रास्तों  से अलग  हुए
फिर  भी  कोई  उमीद  लिए
रात से  भोर  तक और  फिर
एक और  रात  तक  
लैम्पपोस्ट  के कांपते  प्रकाश  तले
समर्पण  भाव  से  यह  रास्ते
चट्टानी  चुप्पी  की  चादर  ओढ़े
यह  उसी  मोड़  पर जुड़े  रहे
 
जमी  रही  है  उस  मोड़  पर
अनोखी  इमानदारी  से
हमारी  विरह  की…
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Added by vijay nikore on April 24, 2021 at 11:30pm — 3 Comments

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