ग़ज़ल
( मफाइलुन_फ इ लातुन_मफाइलुन_फेलुन)
किसी से प्यार किसी से क़रार ख़ैर ख़ुदा
करे वो तीर से दो दो शिकार ख़ैर ख़ुदा
अलम छुपाने की कोशिश तो हँस के की लेकिन
निगाहे नम ने किया आश कार ख़ैर ख़ुदा
नज़र पे पहरा है दीवाना फ़िर भी कूचे में
सनम को अपने रहा है पुकार ख़ैर ख़ुदा
तवक्को उनसे है फैसल की, कर रहे हैं जो
फरेबियों में हमारा शुमार ख़ैर ख़ुदा
लगा ये देख के उनको उदास महफ़िल में
खिज़ा के साथ…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on May 18, 2019 at 12:34pm — 4 Comments
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