भीषण विनाशकारी बदलाव हो रहा है,
मासूमियत पे जमकर पथराव हो रहा है,
आदत बदल रही है फितरत बदल रही है,
रिश्तों में प्यार का भी अभाव हो रहा है,…
Added by अरुन 'अनन्त' on May 22, 2013 at 10:00pm — 8 Comments
बह्र : मुतकारिब मुसम्मन सालिम
चोरी घोटाला और काली कमाई,
गुनाहों के दरिया में दुनिया डुबाई,
निगाहों में रखने लगे लोग खंजर,
पिशाचों ने मानव की चमड़ी चढ़ाई,
दिनों रात उसका ही छप्पर चुआ है,
गगनचुम्बी जिसने इमारत बनाई,
कपूतों की संख्या बढ़ेगी जमीं पे,
कि माता कुमाता अगर हो न पाई,
हमेशा से सबको ये कानून देता,
हिरासत-मुकदमा-ब-इज्जत रिहाई,
गली मोड़ नुक्कड़ पे लाखों…
ContinueAdded by अरुन 'अनन्त' on May 9, 2013 at 12:00pm — 12 Comments
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