(2122-2122-2122-212)
पहले सूरज सा तपें खुद को ज़रा रोशन करें
फिर थमें मत फिर किसी को चाँद सा रोशन करें।
ये नहीं, कोई दिया बस इक दफ़ा रोशन करें
गर करें, बुझने पे उसको बारहा रोशन करें।
मेरी भी वो ही तमन्ना है जो सारे शह्र की
आप मेरे घर में आएं घर मेरा रोशन करें।
सामने है इक चराग़ और आप के हाथों में शमअ
आप किस उलझन में हैं जी?क्या हुआ? रोशन करें!
तीरगी के हैं नुमाइंदे सभी इस शह्र में
कौन है…
Added by Gurpreet Singh jammu on May 23, 2017 at 10:04am — 21 Comments
22 22 22 22 22 22 22 2
दिल के तख़्त पे हाए हमने किस ज़ालिम को बिठा लिया
दिल की बस्ती को ही उजाड़ा उसने ऐसा काम किया।
'लुटे हुए अरमानों को वापिस लाऊंगा' बोला था
लेकिन जो था पास हमारे वो भी हमसे छीन लिया।
अब कहता है, इश्क़ में सब आशिक़ ऐसा ही करते हैं
मैंने भी गर झूठे वादे किए तो कोई पाप किया।
कितनी बार रकीबों ने अरमानों के सर काटे हैं
और वो बस इतना कहते हैं बुरा किया भई बुरा…
Added by Gurpreet Singh jammu on May 5, 2017 at 11:00am — 17 Comments
(212-212-212-212)
मेरे सुर से तेरा सुर मिलाना हुआ
और जीवन मेरा इक तराना हुआ ॥
मैने देखी है इक चलती फ़िरती ग़ज़ल
है मिजाज इस लिए शायराना हुआ ॥
आइए हमनशी बैठिए पलकों पर
ये कहें ख्वाब में कैसे आना हुआ ॥
थी दवा तो वही काम तब कर गई
जब तेरा अपने हाथों पिलाना हुआ ॥
वो भी लगने लगे अब मुझे अपने से
"जब से गैरों के घर आना जाना हुआ ॥"
हज़्म कैसे करेंगे मेरी ये ग़ज़ल
वो जो खाते हैं बारीक छाना हुआ ॥
देख के…
Added by Gurpreet Singh jammu on May 5, 2017 at 10:47am — 23 Comments
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