For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गिरिराज भंडारी's Blog – May 2017 Archive (6)

ग़ज़ल - हम चाह कर ख़ुदा की इबादत न कर सके ( गिरिराज भंडारी )

221  2121  1221 212

हो चाह भी, तो कोई ये हिम्मत न कर सके

तेरी जफ़ा की कोई शिकायत न कर सके

 

तुम क़त्ल करके चौक में लटका दो ज़िस्म को

ता फिर कोई  भी शौक़ ए बगावत न कर सके

 

हाल ए तबाही देख तेरी बारगाह की  

हम जायें बार बार ये हसरत न कर सके

बारगाह - दरबार

मैंने ग़लत कहा जिसे, हर हाल हो ग़लत

तुम देखना ! कोई भी हिमायत न कर सके

 

बन्दे जो कारनामे तेरे नाम से किये

हम चाह कर ख़ुदा की इबादत न कर…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on May 17, 2017 at 7:24am — 27 Comments

ग़ज़ल - जाने किस किस से तेरी अनबन हो ( गिरिराज भंडारी )

2122   1212   22 /112

मेरी मदहोशियाँ भी ले जाना

मेरी हुश्यारियाँ भी ले जाना

 

इक ख़ला रूह को अता कर के

आज तन्हाइयाँ भी ले जाना 

 

जाने किस किस से तेरी अनबन हो

थोड़ी खामोशियाँ भी ले जाना

 

दिल को दुश्वारियाँ सुहायें गर

मुझसे तब्दीलियाँ भी ले जाना

 

कामयाबी न सर पे चढ़ जाये

मेरी नाकामामियाँ भी ले जाना

 

राहें यादों की रोक लूँ पहले

फिर तेरी चिठ्ठियाँ भी ले जाना

 

बे…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on May 15, 2017 at 10:19am — 23 Comments

ग़ज़ल - इब्न ए मरियम हैं, तो शिफ़ा करिये ( गिरिराज भंडारी )

( दूसरे शेर के ऐब ए तनाफुर को कृपया स्वीकार करें )

2122  1212   22/112

ज़ह’नियत यूँ न बरहना करिये

अपने जामे में ही रहा करिये

 

आब ठंडक ही दे हमें हरदम     

आग, गर्मी ही दे दुआ करिये

 

बेवफा हो गये हैं जो साबित    

उनसे क्या खा के अब वफ़ा करिये

 

जुगनुओं की चमक चुरायी है  

शम्स ख़ुद को न अब कहा करिये

 

सिर्फ बीमार कह के चुप न रहें

इब्न ए मरियम हैं, तो शिफ़ा…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on May 10, 2017 at 8:00am — 12 Comments

ग़ज़ल - क्या कज़ा को हयात कहता है ? ( गिरिराज भंडारी )

2122  1212  22 /112

क़ैद को क्यों नजात कहता है

क्या कज़ा को हयात कहता है ?

 

तीन को अब जो सात कहता है

बस वही ठीक बात कहता है

 

क्यूँ न तस्लीम  उसको कर लूँ मैं

वो मिरे दिल की बात कहता है

 

कैसे कह दूँ कि वास्ता ही नहीं

रोज़ वो शुभ प्रभात कहता है

 

ऐतराज उसको है शहर पे बहुत

हाथ अक्सर जो हात कहता है

 

उसकी बीनाई भी है शक से परे   

जो सदा दिन को रात कहता है

 

जीत जब…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on May 8, 2017 at 10:00am — 21 Comments

दो अतुकांत - वैचारिक रचनाएँ ( गिरिराज भंडारी )

1- आंतरिक सम्बन्ध

**************

मैंने पीटा तो दरवाज़ा था

हिल उठी साँकल ...

खड़ खड़ कर के .... 

और..

आवाज़ अन्दर से आयी

कौन है बे.... ?

बस...

मै समझ गया

तीनों के आंतरिक सम्बन्धों को

******

 2- आग और पानी

*****************

आग बुझे या न बुझे

आग लग जाना दुर्घटना है, या साजिश

किसे मतलब है

इन बेमतलब के सवालों से

 

ज़रूरी है,  अधिकार ....

पानी पर

सारा झगड़ा इसी…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on May 6, 2017 at 9:00am — 12 Comments

ग़ज़ल - मिरा गिरना किसी की है मसर्रत - ( गिरिराज )

1222    1222    122

है तर्कों की कहाँ.. हद जानता हूँ

मुबाहिस का मैं मक़्सद जानता हूँ

 

करें आकाश छूने के जो दावे

मैं उनका भी सही क़द जानता हूँ

 

बबूलों की कहानी क्या कहूँ मैं

पला बरगद में, बरगद जानता हूँ

 

बदलता है जहाँ, पल पल यहाँ क्यूँ

मै उस कारण को शायद जानता हूँ

 

पसीने पर जहाँ चर्चा हुआ कल

वो कमरा, ए सी, मसनद जानता हूँ

 

यक़ीनन कोशिशें नाकाम होंगीं

मै उनके तीरों की जद,…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on May 1, 2017 at 11:00am — 22 Comments

Monthly Archives

2025

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service