जब याद तेरी तडपाये
रातों को नींद न आये
कोई दर्द समझ न पाए
आने वाले अब तो आजा
सावन बीता जाए
जब याद तेरी तडपाये
बचपन में साथ जो खेले
सब दुःख सुख मिलकर झेले
हम रह गए आज अकेले
jab से वोह परदेस गए हैं
लौट कर फिर न आये
जब तेरी याद तडपाये
जब फैली तेरी खुशबू
सूखे आँखों में आंसू
है तुझमे ऐसा जादू
मिटटी को अगर हाथ लगा दे
तो सोना बन जाए
जब याद तेरी तडपाये
बरसे…
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Added by aleem azmi on May 29, 2010 at 9:03pm —
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हम को भी तुमसे प्यार था और बेहिसाब था
था वक़्त आशिकी का दौरे शबाब था
आँखों में शराब जब वक्ते शबाब था
जुल्फे भी उनकी नागिन ऐसा जनाब था
जो तुम खफा हुए तो ज़माना खफा हुआ
हम पर खुदा कसम की कोई अज़ाब था
उसने जब अपने हाथ में मेहदी रचा लिया
सब कुछ मिटा के रख दिया जितना खवाब था
मुझसे बिछड़ के रुख की कशिश को भी खो दिया
चेहरा था पुर कशिश कोई ताज़ा गुलाब था
अलीम के होश उड़ गए देखा जो एक झलक
कयामत वो ढा रहा था और बेहिजाब…
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Added by aleem azmi on May 25, 2010 at 9:35pm —
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देख कर लोग मेरे साथ में जल जाते है
हम कभी साथ में तनहा जो निकल जाते है
याद आये मेरी तस्वीर लगाना दिल से
देख तस्वीर तेरी हम भी बहल जाते है
तू में खाई है कसम साथ निभाना होगा
करके वादे को सभी लोग बदल जाते है
होके दीवाना मैं गलियों में फिरा करता हू
वह कभी सज संवर के जो निकल जाते है
है उन्हें नाज़ जवानी पे ये मगर ए अलीम
देखकर हमको सभी लोग अहल जाते है
aap kabhi bhi hume yaad kar sakte hai kyuki kuch dino ke liye aapse…
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Added by aleem azmi on May 22, 2010 at 9:33pm —
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वो घटा आज फिर स बरसी है
मुद्दतों आँख जिस पे तरसी है
कल तलक जो मेरा मसीहा था
आज उसकी ज़बा ज़हर सी है
मर मिटा आपकी अदाओं पर
हर अदा आपकी कहर सी है
रूठ जाना ज़रा सी बातों पर
यह अदा भी तेरी हुनर सी है
खो न जाऊ तुम्हारी आँखों में
आँख "अलीम" तेरी नगर सी है
Added by aleem azmi on May 21, 2010 at 2:48pm —
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मैं रोता रहा रात भर चुपके चुपके
गई रात आई सहर चुपके चुपके
वह कुर्बत बढाने लगा आजकल है
मिलाता है मुझसे नज़र चुपके चुपके
तेरी चाहतें खीच लायी येह तक
मैं आया हू तेरे नगर चुपके चुपके
लगाया था तुमने मोहब्बत का पौधा
वह होने लगा है शजर चुपके चुपके
तेरी आशिकी का है चर्चा शहर में
यह फैली "अलीम" खबर चुपके चुपके
शजर - पेड़ , दरख़्त
कुर्बत - करीब आना
Added by aleem azmi on May 21, 2010 at 1:59pm —
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तन्हाई में जब जब तेरी यादों से मिला हू
महसूस हुआ है तुम्हे देख रहा हू
ऐसा भी नहीं है तुम्हे याद करू मैं
ऐसा भी नहीं है तुम्हे भूल गया हू
शायद ये तकब्बुर की सजा मुझको मिली है
उभरा था बड़े शान से अब डूब रहा हू
ए रात मेरी सम्त ज़रा सोच के बढ़ना
मलूँ नहीं तुम्हे क्या मैं अलीम जिया हू
तकब्बुर - घमंड
सम्त - मेरी तरफ , जानिब
जिया -रौशनी उजाला
Added by aleem azmi on May 20, 2010 at 10:05pm —
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वह मेरा मेहमान भी जाता रहा
दिल का सब अरमान भी जाता रहा
अब सुनाउगा किसे मै हाले दिल
हाय वह नादान भी जाता रहा
हुस्न तेरा बर्क के मानिंद है
उफ़ मेरा ईमान भी जाता रहा
वह बना ले गए हमे अपना अज़ीज़
अब तो यह इमकान भी जाता रहा
दिन गए अलीम जवानी के मेरे
आँख पहले कान भी जाता रहा
Added by aleem azmi on May 19, 2010 at 9:43pm —
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न जीने की खवाहिश ज़हर चाहता हू
तुमाहरे ही हातों मगर चाहता हू
वो मिल जाए मुझको है जिसकी तमन्ना
मै अपनी दुआ में असर चाहता हू
कही मर न जाऊ यह लेकर तमन्ना
तुम्हरी झलक एक नज़र चाहता हू
है मुद्दत से कतए ताल्लुक हमारा
तुझे आज भी मै मगर चाहता हू
तेरा साथ काफी ए मेरे अलीम
न माल और दौलत न घर चाहता हू
katye means ------chod dena
Added by aleem azmi on May 16, 2010 at 4:03pm —
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है कयामत या है बिजली सी जवानी आपकी
खूबसूरत सी मगर है जिंदगानी आपकी
तीर आँखों से चलाना या पिलाना होंठ से
भूल सकता हु नहीं मैं हर निशानी आपकी
आप मोहसिन है हमारे आपका एहसान है
हमसफ़र हमको बनाया मेहेरबानी आपकी
रूठ कर नज़रें चुराना मुस्कुराना फिर मगर
याद है सब कुछ मुझे बातें पुरानी आपकी
तुमसे वाबस्ता है मेरी जिंदगानी का हर वरक
ज़िन्दगी मेरी है कहानी आपकी
Added by aleem azmi on May 16, 2010 at 1:42pm —
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काश मैं एक आइना होता
हर पल हर घडी
तुझे देखता रहता
काश मैं एक आइना होता
तेरे चेहरे पर क्या लिखा है
तुझे यह बता देता और
दिन भर तेरे घर की
दीवारों पर झूलता
तेरे चेहरे की मुस्कान को
देखकर मुस्कुराता खिलखिलाता
काश मै एक आइना होता
आखिर एक दिन
उंचाई से फर्श पर
गिर कर टुकड़े टुकड़े हो जाता
तेरे लिए कुछ कर पाता
और जब जब तू उन टुकडो को
एक एक करके उठाती तो
बड़ा मज़ा आता
काश मैं एक आइना होता
Added by aleem azmi on May 11, 2010 at 5:33pm —
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डूब जाने की तलब दिल में उभर आई है
उसकी आँखों में अजब झील सी गहरे है
काश उसे भी मेरी हालत का पता हो जाता
रात है और गमे हिज्र की पुरवाई है
चाँद भी डूब गया बुझ गए तारे भी तमाम
मेरी आँखों में मगर नींद नहीं आई है
गम की तौहीन है इजहारे गमे दिल करना
और चुप रहने में शायद तेरी रुसवाई है
तेरी यादों ने दिया बढ़के सहारा ए दोस्त
जबकि कश्ती मेरी तूफ़ान से टकराई है
गमे जाना गमे दुनिया गमे हस्ती गमे दिल
ज़िन्दगी कितने मराहिल… Continue
Added by aleem azmi on May 9, 2010 at 3:31pm —
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कसम खुदा की हमे तुमसे प्यार आज भी है
वो दोस्ती की तड़प बरकरार आज भी है
मेरी वफ़ा का तुझे ऐतबार हो की न हो
तेरी वफ़ा का ऐतबार आज भी है
तेरी जुदाई को सदिया गुज़र गयी लेकिन
तेरी जुदाई में दिल अश्कबार आज भी है
हमारी चाह में कोई कमी नहीं आई
तुम्हारे वास्ते सब कुछ निसार आज भी है
वो एक नज़र मुझे बर्बाद कर दिया जिसने
उसी नज़र का मुझे इंतज़ार आज भी है
वफ़ा का रंग मोहब्बत की बू नहीं मिलती
चमन में होने को यू तो बहार आज भी… Continue
Added by aleem azmi on May 5, 2010 at 9:48pm —
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पहले प्यार सिखाते है
फिर दूर कही चले जाते है
ये उनका अंदाज़ है
यादों की भूलभुलैय्या में
सपनो को उलझाते है
चाहत की इस छैय्या में
नफरत की आग बरसाते है
ये उनका अंदाज़ है
आवारा भौरों की तरह
घूम घूम के आते है
मासूम कलियों के संग
चुपके से रस चुराते है
ये उनका अंदाज़ है
साथ रहने की कसमे खाते
आंसू बनकर रुलाते है
चाहे जितना रोको उन्हें
पत्थर दिल हो जाते है
ये उनका अंदाज़ है
देख न पाते प्यार को रोते
खुद सागर में… Continue
Added by aleem azmi on May 3, 2010 at 12:53pm —
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