For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विनय कुमार's Blog – May 2019 Archive (3)

ग़लतफ़हमी-लघुकथा

"याद पिया की आए" ठुमरी लैपटॉप में मद्दम स्वर में बज रही थी, बाहर बरसती हुई बूंदों का शोर मन में हलचल मचाना चाह रही थी. उसने अपनी चाय की प्याली उठायी और होठों से लगा लिया. चाय कुछ ठंडी हो गई थी लेकिन उसे इसका एहसास नहीं था. उसे तो अधखुली आँखों से खिड़की के बाहर टपकती बारिश की बूंदें दिख रही थी और उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली साहब की जादुई आवाज सुनाई दे रही थी.

अक्सर ऐसे मौकों पर, जब वह नितांत अकेले ही रहना चाहता है, फ़ोन को साइलेंट मोड में कर देता है. लेकिन आज न जाने कैसे वह भूल गया था और फोन का…

Continue

Added by विनय कुमार on May 20, 2019 at 8:00pm — 4 Comments

जिम्मेदारी-लघुकथा

यह तीसरी बार था जब वह व्यक्ति चिल्ला रहा था और उठ कर भागने का प्रयास कर रहा था "मुझे कुछ नहीं हुआ है, मुझे जाने दो". खून का बहना अभी तक रुका नहीं था और उसके चेहरे से लेकर कपड़ों तक फ़ैल गया था. दो कम्पाउंडरों ने उसे पकड़ कर वापस लिटा दिया और डॉक्टर फिर से उसके सर पर दवा लगाकर पट्टी बांधने की तैयारी कर रहा था.

बमुश्किल आधे घंटे पहले ही उसने सड़क के दूसरी तरफ इस एक्सीडेंट को होते हुए देखा था और रात के सन्नाटे में वह अपनी गाड़ी मोड़कर वापस आया. वहां मौजूद लोगों की मदद से उसने उसे इस हस्पताल में…

Continue

Added by विनय कुमार on May 4, 2019 at 6:19pm — 6 Comments

मृगतृष्णा-लघुकथा

"देखो आज का अखबार, एक लड़के ने जिसे कोई भी सहूलियत हासिल नहीं थी, राज्य सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर ली. जिसे करना होता है ना, वह लैंप पोस्ट की रौशनी में भी पढ़ लेता है", पिताजी आज फिर उबल रहे थे. इस बार भी राकेश असफल हो गया, वह खुद बहुत उदास था.

"लक्ष्य तो निर्धारित करते नहीं ठीक से, बस साधनों का रोना रोते रहोगे. मुझे लगता था कि मेरे रिटायर होने से पहले मैं भी सुनूंगा कि एक बाबू का लड़का बड़ा अधिकारी बन गया. लेकिन जनाब को तो कोई मतलब ही नहीं है इन सब से", अभी तक उनका बड़बड़ाना जारी था.

पहले…

Continue

Added by विनय कुमार on May 2, 2019 at 5:45pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service