मुखतलिफ़ शेर ....
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लाख कोशिश कर ले इंसा कुछ नहीं कर पाएगा
मौत की जद में किसी दिन जिंदगी आ जाएगी
इबादत करना चाहो गर खुदा की तुम हकीकत में
मुहब्बत के चिरागों को कभी बुझने नहीं देना ...
आधे अधूरे रह गए हैं ख्वाब इस लिए
इल्ज़ाम दे रहे हैं वो अपने नसीब को .....
रायगां बहने नहीं देता इन्हें
अपने अशकों से वुजू करता हूँ मैं ....
दिया मुझ को मेरी किस्मत ने सब कुछ
मगर तेरी कमी अब भी है…
Added by Ajay Agyat on June 26, 2013 at 8:00pm — 8 Comments
आपने चाहा ही नहीं दर्द का दरमां होना
कितना आसान था दुश्वार का आसां होना
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आपका हुस्न तो खुद होश उड़ा देता
आपको ज़ेब नहीं देता है हैरां होना
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नाम ए मर्ग है फूलों के लिए काली घटा
दोशे गुलनार पे ज़ुल्फों का परेशां होना
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वक़्त वो दोस्त है जो पल में बदल जाता है
भूल से भी न कभी वक़्त पे नाजां होना
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दिल पे अज्ञात के जो गुजरा है वो ज़ाहिर है
इस तरह आप का लहरा के पेरीजां होना
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ज़ेब = शोभा , नाजाँ =…
Added by Ajay Agyat on June 13, 2013 at 9:00pm — 9 Comments
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