For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Nilesh Shevgaonkar's Blog – June 2014 Archive (3)

ग़ज़ल -निलेश "नूर"

मुझे वो याद करते हैं जो भूले थे कभी मुझको,

बस ऐसे ही जहां भर की मिली है दोस्ती मुझको.   

.

ज़माना ज़ह्र  में डूबे हुए नश्तर चुभोता है,

बचाती ज़ह्र  से लेकिन मेरी ये मयकशी मुझको.    

.

मुझे कहने लगा ख़ंजर, “मुहब्बत है मुझे तुमसे,

कि इक दिन मार डालेगी तुम्हारी सादगी मुझको.” 

.

ज़माने का जो मुजरिम है सज़ाए मौत पाता है,

मिली मेरे गुनाहों पर सज़ाए ज़िन्दगी मुझको.

.

ख़ुदाया शह्र -ए-पत्थर में बना मुझ को तू आईना,

समझनी है अभी इन…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on June 29, 2014 at 6:30pm — 24 Comments

"नूर" की ग़ज़ल -देख तेरा जो हाल है प्यारे

२१२२ १२१२ २२/११ २  

.

देख तेरा जो हाल है प्यारे

ज़िन्दगी का सवाल है प्यारे.

.

लोग मुर्दा पड़े हैं बस्ती में,

बस तुझी में उबाल है प्यारे.

.

आम कहता है ख़ुद को जो इंसाँ,

उसकी रंगत तो लाल है प्यारे.

.

उसकी थाली में मुझ से ज़्यादा घी,

बस यही इक मलाल है प्यारे. 

.

हम ने अपना लहू भी वार दिया,

सबको लगता गुलाल है प्यारे.   

.

ख़ाक ही ख़ाक बस उड़ेगी अब,

ये हवाओं की चाल है प्यारे. 

.

अब तो…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on June 5, 2014 at 9:30pm — 21 Comments

ग़ज़ल -निलेश "नूर"

२१२२, २१२२,२१२२, २१२२  



क्या सुनाऊं दोस्त तुझको ज़िन्दगानी की कहानी,

चार सू तूफ़ान हैं और अपनी कश्ती बादबानी.

***

जब मिले पहले पहल तुम, ख्व़ाब थे रंगीन सारे,

सुर्ख आँखें हैं मेरी उस दौर की ज़िन्दा निशानी.

***

याद की इन आँधियों में दिल बिखर जाता है ऐसे,   

जिल्द फटने पर बिखरती डायरी जैसे पुरानी.

***

देर तक रोता रहा क़ातिल मेरा, मैंने कहा जब, 

जान तू ले ले मेरी तो होगी तेरी मेहरबानी.

***

खो गए है हर्फ़ सारे, बुझ गए…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on June 3, 2014 at 11:00am — 31 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
9 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service