1222 1222 1222 1222
जुबाँ से विष उगलते और मन में नफरतें होतीं
न तू होता अगर दिल में न तेरी रहमतें होतीं
नहीं जीवन बनाता तू धड़कता फिर कहाँ से दिल
न कोई ख़्वाब ही पलते न कोई हसरतें होतीं
जो तेरे हाथ शानों पर नहीं होते अगर मेरे
कहाँ से होंसला होता कहाँ ये हिम्मतें होतीं
बिना मतलब यहाँ तो पेड़ से पत्ता नहीं हिलता
ज़माना साथ क्या देता बड़ी ही जिल्लतें होतीं
न तुझ में आस्था…
ContinueAdded by rajesh kumari on June 29, 2014 at 2:00pm — 23 Comments
“देखो नेहा वो अभी भी घूर रहा है” झूमू ने नेहा का हाथ पकड़े-पकड़े हर की पौढ़ी पर गंगा में डुबकी लगाते हुए कहा|”बहुत बेशर्म है अभी भी बैठा है इसको पता नहीं किस से पाला पड़ा है, इसका मजनू पना अभी उतारते हैं शोर मचाकर” उसको थप्पड़ दिखाती हुई नेहा आस पास के लोगों को उकसाने लगी|
इसी बीच में न जाने कब झूमू का हाथ छूट गया और वो तीव्र बहाव में बहने लगी|छपाक!!!!! आवाज आई और कुछ ही देर में वो युवक झूमू को बचाकर बाहर निकाल लाया|
थोड़ी दूर खड़ा एक पुलिस वाला भी आ गया और “बोला इन साहब का…
ContinueAdded by rajesh kumari on June 22, 2014 at 8:30am — 40 Comments
122 122 122 122
मनाज़िर नए हैं, सवेरा नया क्या ?
वतन पूछता है, अँधेरा हटा क्या ?
नई खुशबुएँ हैं नई सुब्ह महकी
सदी से बुझा था जो चूल्हा जला क्या ?
परिंदा नया है नए पंख निकले
उड़ेगा कहाँ तक परों पे लिखा क्या ?
सभी कह रहे हैं शजर विष भरा है
तुम्ही ये बताओ बिना जड़ उगा क्या ?
वहीँ आग होगी धुआँ है जहाँ पर
हवा है गली में नया गुल खिला क्या ?
वो बुधवा की बेवा नहीं दी…
ContinueAdded by rajesh kumari on June 16, 2014 at 9:28am — 22 Comments
2122 2122 2122 22
मैं कभी तुझसे बिछुड़ने का न मंजर देखूँ
मछलियों से ना कभी ख़ाली समंदर देखूँ
कब जमीं आकाश दोनों इस जहाँ में मिलते
मैं ये संगम तो सदा दिल के ही अन्दर देखूँ
हर सितारा तेरी किस्मत का बुलंदी पर हो
मैं न कोई हार से टूटा सिकंदर देखूँ
झेल लूँ मैं वार खुद तेरी परेशानी के
जीस्त में गड़ता हुआ ग़म का न खंजर देखूँ
जिंदगी में काश कोई दिन न आये…
ContinueAdded by rajesh kumari on June 5, 2014 at 10:58am — 29 Comments
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