मफऊल फ़ायलात मुफ़ाईल फायलुन
आया था लुत्फ़ लेने नवाबों के शह्र में
हैरतज़दा खड़ा हूँ नक़ाबों के शह्र में
आलूदा है फज़ाए बहाराँ भी इस क़दर
खुशबू नहीं नसीब गुलाबों के शह्र में
तहज़ीबे कोहना और तमद्दुन नफासतें
आया हूँ सीखने में नवाबों के शह्र में
ऐसी हसीं वरक़ को यहाँ देखता है कौन
हर सम्त जाहेलां है किताबों के शह्र में
बेहोश होने का न गुमां हमको हो सका
हर शख्स होश में है शराबों के…
ContinueAdded by Sushil Thakur on June 13, 2014 at 4:00pm — 4 Comments
2122 1122 1122 22
दिल में उम्मीद तो होटों पे दुआ रखता हूँ
तुम चले आना मैं दरवाज़ा खुला रखता हूँ
ये तेरा हुस्न अगर जलता शरारा है तो क्या
मैं भी जज़्बात की जोशीली हवा रखता हूँ
राहे-उल्फ़त में तू अपने को अकेला न समझ
दिल में चाहत का दिया मैं भी सदा रखता हूँ
ख़ुशनुमा मंज़रो - तस्वीर न गुल बूटे से
अपने कमरे को दुआओं से सजा रखता हूँ
अपनी औक़ात कहीं भूल न जाऊँ ‘साहिल’
इसलिए महल में…
ContinueAdded by Sushil Thakur on June 11, 2014 at 10:13pm — 8 Comments
2122 2122 2122 2122
ज़ुल्फ़ जब उसने बिखेरी बज़्मे-ख़ासो-आम में
फ़र्क़ बेहद कम रहा उस वक़्त सुब्हो-शाम में
झाँककर परदे से उसने इक नज़र क्या देख ली
जी नहीं लगता हमारा अब किसी भी काम में
सिर्फ़ ख़ाकी, खादी पर उठती रही हैं उंगलियाँ
मुझको तो नंगे नज़र आये हैं सब हम्माम में
मान-मर्यादा, ज़रो-ज़न, इज्ज़तो, ग़ैरत तमाम
क्या नहीं गिरवी पड़ी है ख्व़ाहिशे-ईनाम में
एक दिन में मुफलिसों का दर्द क्या…
ContinueAdded by Sushil Thakur on June 11, 2014 at 10:07pm — 9 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |