For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

केवल प्रसाद 'सत्यम''s Blog – June 2013 Archive (6)

’’वेगवती छन्द’’

’’वेगवती छन्द’’

इसमें विषम चरण में तीन सगण-(112) तथा एक गुरू-(2) तथा

सम चरण में तीन भगण-(211) तथा दो गुरू-(22) होते हैं।

.1.

कण कारक ज्यों मन कृष्णा। कारण कृष्ण कमाल सुतृष्णा।

जन.लोक अतीव नसाना। घोर. विरोध सजाय मसाना।।

जगती तल-अम्बर-वर्षा। बाढ़-हुताशन ज्यों यम हर्षा।

अब तो मन सोच सुकर्मा। कार्य सुहाय अघोर.विकर्मा।।



.2.

मन राम सुनाम विचारो। मानव से नित प्यार सॅवारो।

वन-बाग-सुभाष सुधारो। कर्म-सुधर्म  सदा मन धारो।।

रख हाथ…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 21, 2013 at 9:56am — 14 Comments

!!! शालिनी छन्द !!!

!!! शालिनी छन्द !!!

शालिनी छन्द के प्रत्येक चरण मे 11 वर्ण होते है तथा इसमें एक मगण, दो तगण तथा दो गुरू होते हैं।

-1-

राधे-राधे गीत जो गा रहे हैं।

कृष्णा जैसे मीत वो पा रहे है।।

आत्मा से औचित्य भी भा रहे हैं।

काया के अट्टालिका ढा रहे हैं।।

-2-

भावों से पाया जमीं सार सारा।

बीथीं-बीथीं भाग्य का पार पारा।।

दुःखों से आनन्द का धार* धारा।.......*मार्गं

पश्चातापों से सभी जार* जारा।।......*पाप

-3-

वृक्षों-बृक्षों से फले कामनाएं।

तारों-तारों में…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 18, 2013 at 9:09am — 18 Comments

!!! घर की मुर्गी दाल बराबर !!!

                                                   !!! घर की मुर्गी दाल बराबर !!!

                कालिमा की घोर नाशक आभा दबे पांव क्षितिज मे अपना आधिपत्य जमाने को उतावली हो रही थी और इधर नित्य क्रिया के फलस्वरूप मुर्गे ने कुकड़ू कूं.............. कुकड़ू कूं........बांग के साथ ही जीवनमय युध्द का बिगुल फूंक दिया। सृष्टि में एक विस्मयकारी, मुग्धकारी और मनोहारी दृश्यों का सजीव प्रस्तुति प्रसारित होने लगा। मुर्गा किशोरवय था। शिकार का हर दांव-पेंच बहुत ही बारीकी से समझता था। इसीलिए आज भी…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 16, 2013 at 7:59am — 12 Comments

पानी जैसा होइए

!!!-ः दोहे:-!!!

पानी - पानी हो रही, लोकतंत्र सरकार।

हर क्षेत्र में असफल है, देश विदेश करार।।1

पानी नकसिर चढ़ गया, लोक तंत्र बेहाल।

जल संसाधन लूटता, बोतल भर कर माल।।2

जल संकट से घिर गया, अब यह पृथ्वी लोक।

जन मन रंजन कर रहा, नहि भविष्य का शोक।।3

सुबह बाल रवि तेज है, प्रखर प्रचण्डहि धूप।

सलिल अंबु जीवन लिए, मिलते नहि नल कूप।।4

जल ही जीवन जान लें, नीर वारि पय तोय।

पानी बिना सृष्टि नहीं, धरा हवा नभ…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 15, 2013 at 10:10pm — 9 Comments

पानी जैसा होइए

!!!ःः! दोहे !ःः!!!



पानी - पानी हो रही, लोकतंत्र सरकार।

हर क्षेत्र में असफल है, देश विदेश करार।।1

पानी नकसिर चढ़ गया, लोक तंत्र बेहाल।

जल संसाधन लूटता, बोतल भर कर माल।।2

जल संकट से घिर गया, अब यह पृथ्वी लोक।

जन मन रंजन कर रहा, नहि भविष्य का शोक।।3

क्षीण बाल रवि तेज है, प्रखर प्रचण्डहि धूप।

सलिल अंबु जीवन लिए, मिलते नहि नल कूप।।4

जल ही जीवन जान लें, नीर वारि पय तोय।

सृष्टि पानी बिना नहीं, धरा हवा नभ…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 15, 2013 at 9:11am — No Comments

!!! कुण्डलियां !!!

!!! कुण्डलियां !!!

तपता सूरज देख कर, मौसम है बेहाल।
तरू, उपवन, जन ताप से, नित.नित हुए हलाल।।
नित.नित हुए हलाल, निरूत्तर ठगे खडे़ हैं।
निर्वस्त्रहि भी ढाल, धर्म में डटे अड़े है।।
अब कालहु का काल, इन्द्र भगवन को जपता।
धरा करे चित्कार, जेठ सूरज सा तपता।।

के0पी0सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 14, 2013 at 9:00pm — 16 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Sep 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service