1212 212 122 1212 212 122
कभी हुयी थी निसार आंखे कभी बहारे हयात आई
नहीं दिखा फिर मुझे सवेरा सदैव हिस्से में रात आई
बहुत बटोरे थे स्वप्न आतुर बहुत सजाये थे ख़्वाब मैंने
मेरी मुहब्बत मेरी जिदगी विदा हुयी तब बरात आयी
घना तिमिर था न रश्मि कोई न सूझ पड़ता था पंथ मुझको
बिना रुके ही मैं अग्रसर था निदान मंजिल हठात आई
मुझे स्वयं पर रहा भरोसा नहीं जुटाये अनेक साधन
मुझे बनाने मुझे सजाने कभी-कभी…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 26, 2016 at 5:00pm — 12 Comments
बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222
ग़ज़ल
सड़क पर बजबजाते चीखते नारों से क्या होगा
हवा में फुस्स हो जायें जो, गुब्बारों से क्या होगा ?
लडाई है बहुत बाकी बहुत कुछ कर गुजरना है
नही है हौसला दिल में तो नक्कारों से क्या होगा ?
जिन्हें हमने अता की है, हकूमत देश की यारों
उन्ही में बदगुमानी है तो उद्गारों से क्या होगा ?
पड़े है एक कोने…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 15, 2016 at 8:39am — 18 Comments
सारा देश दहशत में था .भारत के सर्वाधिक सम्मानित नेता देश के सुरक्षा संबंधी गुप्त दस्तावेज दुश्मन देश को सौंपते हुए कैमरे में कैद कर लिए गये थे . मीडिया में देश के खिलाफ इस प्रकार के षड्यंत्र में नेता जी के लिप्त होने को लेकर गरमागरम बहस चालू थी . जिस टी वी चैनल ने यह स्ट्रिंग आपरेशन किया था , वह बार-बार उन दृश्यों को जनता के सामने परोस रहा था .या सीधे -सीधे देश-द्रोह का मामला था अनेक चैनेल इस विषय पर सीधे नेता जी से सम्पर्क कर उनकी ज़ुबानी सारा सत्य उगलवाना चाहते थे . नेता जी इन सब…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 12, 2016 at 6:42pm — 5 Comments
बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22
कहाँ गए थे यूँ ही छोड़कर मुझे तनहा
बिना तुम्हारे मुझे ये जहां लगे तनहा
कभी-कभी तो बहुत काटता अकेलापन
मगर न भूल कि पैदा सभी हुये तनहा
तमाम उम्र जो बर्दाश्त है किया हमने
समझ वही सकता जो कभी जिये तनहा
मगर न फिर कभी वो बात रात आ पायी
है याद आज भी वो शाम जब मिले तनहा
बिखर ही…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 9, 2016 at 6:30pm — 10 Comments
Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 4, 2016 at 4:22pm — 1 Comment
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