मैं पहुंचा ही था कि मुझे अपने घर से दो अजनबी लड़के निकलते हुए दिखाई दिए. इससे पहले कि मैं उनकी बाबत कुछ जान पाता. वे बाईक पर बैठकर रफ्फूचक्कर हो गये.
दरवाजे पर बेटा खडा था. मैंने उसकी ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा तो उसने बताया कि डोमेस्टिक गैस सर्विस’ से आये थे .यह वही गैस सर्विस थी जहां से मेरे घर एल पी जी सिलिंडर आता है.
‘क्यूँ आये थे ?’- मैंने यूँ ही पूंछ लिया.
‘अपना गैस स्टोव चेक करने आये थे ?’
‘ स्टोव-------मगर क्यों ?’ मैं हैरत में पड़ गया –‘ जब चूल्हा…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 23, 2017 at 7:09pm — 6 Comments
ट्रेन के चलते ही एक तरुण दैनिक यात्री द्वितीय श्रेणी के स्लीपर क्लास में दाखिल हुआ. आरक्षित श्रेणी के यात्री अधिकांशतः अपनी बर्थ पर अधपसरे हुए थे . एक बर्थ के कोने पर खाली जगह देखकर वह बैठने जा ही रहा था कि उस पर बैठे अधेड़ व्यक्ति ने गुर्राकर कहा –‘आगे बढ़ो,…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 6, 2017 at 8:54pm — 2 Comments
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