For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Neelam Upadhyaya's Blog – June 2018 Archive (5)

अब तो आओ मेघ

बहुत हुआ सूरज का तपना

अब तो आओ मेघ

जम कर बरसो मेघ

 

तपती धरती का सीना हो ठंढा 

सूखी मिट्टी महके सोंधी

बंजर सी जमीं पर

अब फैले हरियाली

ठूंठ बन गए  पेड़ों के

पत्ते  अब हरियाएँ 

नभ पर जमकर छा जाते

गरज का बिजली कड़काते

संग में वर्षा भी  लाते

गर्मी डरकर जाती भाग

मौसम हो जाता खुशहाल

पर बादल तो

इधर से आये उधर गए

हम तो आस ही लगाए रहे

खुली चोंच लिए पक्षी

प्यासे ही रह गए

खेत जोतने को

हल लिए किसान…

Continue

Added by Neelam Upadhyaya on June 30, 2018 at 3:25pm — 8 Comments

हाइकू

अरण्य घन

सुन स्वर लहरी

मादल थाप

  

पवन मंद

बिखरे मकरंद

नव अंकुर

  

ढीठ हवाएँ

पत्ते बुहार रहीं

पतझड़ में

  

पर्वत नाले

पार करती चली

चंचल नदी

 

 मेघ ढिठौना

तपते आकाश में

बरसेगा क्या

… मौलिक एवं अप्रकाशित

(मादल की थाप का प्रसंग आशापूर्ण देवी जी की कहानी से )

 

 

Added by Neelam Upadhyaya on June 25, 2018 at 3:00pm — No Comments

हाइकू

अंबर अटा

रेगिस्तानी धूल से

जीना मुहाल

 

 

चढ़ती धूप

सुस्ताने भर ढूँढे

टुकड़ा छांव

 

 

खड़ी है धूप

छांव से सटकर

प्रतीक्षा सांझ

 

कटते पेड़

मौन रोता जंगल

सुनता कौन

 

 

… मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Neelam Upadhyaya on June 20, 2018 at 3:30pm — 12 Comments

पापा तुम्हारी याद में

जीवन की पतंग

पापा थे डोर

उड़ान हरदम

आकाश की ओर

पापा सूरज की किरण

प्यार का सागर

दुःख के हर कोने में

खड़ा उनको पाया

छोटी ऊँगली पकड़

चलना मुझको सिखलाया

हर उलझन को पापा

तुमने ही सुलझाया

हर मुश्किल में पापा

प्यार हम पर बरसाया

मेरे हर आंसू ने

तुम्हारी आँखों को भिगोया

मेरे कमजोर पलों में

मेरा विश्वास बढ़ाया

तुम से बढ़कर पापा

प्यार न कोई पाया

प्यार न कोई पाया।

मौलिक एवं…

Continue

Added by Neelam Upadhyaya on June 17, 2018 at 6:05pm — 15 Comments

हाइकू

झरता रहा

माँ के आशीर्वाद सा

हरसिंगार

 

उषा की लाली

रेशम का आँचल

वात्सल्य माँ का

पुलक तन

शाश्वत है बंधन

नमन मन

  

स्नेहिल स्पर्श

वात्सल्य का कंबल

संबल मन

 …

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Neelam Upadhyaya on June 14, 2018 at 12:30pm — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service