जब कभी अम्न की तदबीर नई होती है॥
हर तरफ जंग की तस्वीर नई होती है॥
ख़त्म कर देती है सदियों की पुरानी रंजिश,
वक़्त के हाथ में शमशीर नई होती है॥
पहले होते हैं यहाँ क़त्ल धमाके…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 30, 2013 at 1:37am — 8 Comments
वफ़ा कि राह में सब कुछ लुटा दिया अपना॥
मगर न बदला मुहब्बत का फलसफ़ा अपना॥
बड़े खुलूस से तुझको है मशवरा अपना।
हर एक शख़्स को देना नहीं पता अपना॥
दिलों के बीच मुहब्बत के गुल खिलाता गया,
जहाँ- जहाँ से भी गुजरा है काफ़िला अपना॥
हम एक दूजे से चुपचाप हो गए है अलग,
ज़रा सी बात पे टूटा है सिलसिला अपना॥
कुछ इस अदा से दिखा के वो चाँद सा चेहरा,
बस एक पल में दिवाना बना गया अपना॥
ये चंद साँसे भी…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 15, 2013 at 1:00am — 8 Comments
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