पञ्च हाइकू
१.
कर ले कर्म
बस यही है धर्म
जीवन मर्म
२.
छाये बहार.
आत्मिक अभिसार
प्यार में धार .
३.
जुड़ें बेतार
जोड़ ले लगातार
दिलों के तार
४.
मन मुस्काए
किस्मत बन जाए
क्यों घबराए
५.
त्याग दे स्वार्थ
स्वीकार परमार्थ
उठ जा पार्थ
--अम्बरीष श्रीवास्तव
Added by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 12:30am — 17 Comments
वृक्षों को मत काटिए, वृक्ष धरा शृंगार.
हरियाली वसुधा रहे, बहे स्वच्छ जलधार..
नदियाँ सब बेहाल हैं, इन पर दे दें ध्यान.
कचरा निस्तारित करें, बन जाएँ इंसान..…
ContinueAdded by Er. Ambarish Srivastava on July 26, 2012 at 12:00am — 35 Comments
मदन-छंद या रूपमाला
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है मदन यह छंद इसका, रूपमाला नाम.
पंक्ति प्रति चौबीस मात्रा, गेयता अभिराम.
यति चतुर्दश पंक्ति में हो, शेष दस ही शेष,
अंत गुरु-लघु या पताका, रस रहे अवशेष..
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चाँदनी का चित्त चंचल, चन्द्रमा चितचोर.
मुग्ध नयनों से निहारे, मन मुदित मनमोर.
ताकता संसार सारा, देख मन में खोट.
पास सावन की घटायें, चल…
ContinueAdded by Er. Ambarish Srivastava on July 23, 2012 at 1:30pm — 18 Comments
(एक अभिनव प्रयोग)
खुसरो की बेटी कहलाये
भारतेंदु संग रास रचाये
कविजन सारे जिसके प्रहरी
क्या वह कविता? नहिं कह-मुकरी!
बांच जिसे जियरा हरषाये
सोलह मात्रा छंद सुहाये
पुलकित नयना बरसे बदरी
क्या चौपाई ? नहिं कह-मुकरी!
चैन चुराये दिल को भाये
चिर-आनंदित जो…
ContinueAdded by Er. Ambarish Srivastava on July 19, 2012 at 1:00am — 23 Comments
रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले.
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.
मंजिलें अलग-अलग हैं रास्ते जुदा-जुदा,
गर तू पीछे रह गया तो साथ देगा क्या खुदा,
हिम्मतों से काम लेके रुख हवा का मोड़ ले.
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा…
ContinueAdded by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 1:00am — 32 Comments
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