Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 31, 2017 at 11:30pm — 12 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 28, 2017 at 9:22am — 8 Comments
सन १९८२ , बी वाय के कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, शरणपुर रोड, नाशिक , यह उनदिनों की बात है जब मैं इस कॉलेज में पढ़ती थी |
हमारी कॉलेज के पैरेलल दो सड़के जाती थी, एक त्रम्बकेश्वर रोड, और दूसरी गंगापुर रोड , और इन दोनों के बीच पड़ता है हमारा कॉलेज रोड|
हमारे कॉलेज से एक रास्ता कट जाता है जो गंगापुर रोड की तरफ जाता है , कॉलेज से करीब ४.८ किलोमीटर की दुरी पर है यह सोमेश्वर मंदिर | महादेव जी का यह एक प्राचीन मंदिर है , गोदावरी नदी के तट पर बसा यह मंदिर अपनी सुंदरता लिए हुए है | उनदिनों…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2017 at 7:17pm — 4 Comments
गाँव वालों के बीच इन दिनों एक ही चर्चा चल रही थी और वो थी सुखिया के बेटे का आतंकवादी बन जाना | सुखिया एक सीधा सादा कुम्हार था पर उसके हाथ के बने घड़े सुन्दर और पक्के होते थे | आस पास के गाँव वाले भी उसके पास घड़े खरीदने आते थे |
लोगों को जब उनके बेटे के बारे में पता चला तो वे सब सकते में आ गए ।
किसीने कहा , " घोर कलजुग है भैया , किसीका भरोसा नहीं । "
कोई बोला ," इसमें तो मुझे उस सुखिया कुम्हार की ही गलती दिखे है , माटी के घड़े तो बना दिए पर खुद…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2017 at 5:47pm — 7 Comments
१
आया सावन
बोले मयूरा सुनो
उसकी बोली |
२
गरज गए
बादल सावन के
नाचो औ गाओ |
३
गीत कोई तो
सुना दो सावन के
मनवा डोले |
४
मधुर गीत
गाती जब सखियाँ
पिया पुकारें |
५
हरित धरा
कहती कुछ कुछ
सुनो तो सही |
६
चमके जब
बिजली डर लागे
ढूँढे पिया को…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 18, 2017 at 10:30pm — 14 Comments
लो आ गया फिर से सावन
संग लाया यादें मन भावन
नदी का किनारा अमरुद का पेड़,
पत्थर उठाकर तुम्हारा करना खेल
पानी उछालना , फिर हंस देना
अमरुद तोड़ खुद ही खा लेना
थी अठखेलियाँ वो जो तुम्हारी
बस गयी तब से साँसों में हमारी
उछलते छीटों से खुद को भी भिगौना
गीले होकर रूठ कर बैठ जाना
कीचड़ लगाकर फिर भाग जाना
पेड़ की आड़ से फिर मुस्कुराना
शैतान सी हंसी , मस्ती की…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 7:00pm — 10 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 2, 2017 at 11:00pm — 6 Comments
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