मिटाने फासले तुझको अगर हैं गुफ़्तगू कर ले
सियेगा ज़ख्म कोई सोच मत ख़ुद ही रफ़ू कर ले
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मुक़ाबिल ख़ौफ़-ए-ग़म होजा अगर पीछा छुड़ाना है
ग़मों से भाग मत इक बार तू रुख़ रूबरू कर ले
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नहीं महफ़ूज़ गुलशन में कली कच्ची अभी तक भी
बचा है कौन अब उसकी जो फ़िक्र-ए-आबरू कर ले
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कोई तो दर्द है दिल में लबों पर आ नहीं पाता …
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on July 26, 2019 at 5:30pm — 2 Comments
बीच समंदर कश्ती छोड़े धोका गर मल्लाह करे
मंज़िल कैसे ढूंढोगे जब रहबर ही गुमराह करे
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आज हुआ है इंसानों में प्यार मुहब्बत क्यों ग़ायब
घर घर की चर्चा है अपने अपनों से ही डाह करे
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पानी मांग नहीं पाता है साँपों का काटा जैसे
ऐसा काम भयानक अक़्सर मज़्लूमों की आह करे
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आज अक़ीदत और इबादत का जज़्बा गुम सा देखा
दिल में जब…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on July 22, 2019 at 8:00pm — 2 Comments
एक गीत प्रीत का
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"मुहब्बत की नहीं मुझसे " , प्रिये ! तुम झूठ मत बोलो |
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लता के सम लिपट जाना , नखों से पीठ खुजलाना |
अधर से चूम लेना मुख,नयन से कुछ कहा जाना |
कभी पहना दिया हमदम,गले में हार बाहों का
अचानक गोद में लेकर,तुम्हारा केश सहलाना |
हथेली से छुपा लेना, तुम्हारा नैन को मेरे
इशारे प्यार के थे या, शरारत भेद यह खोलो |
"मुहब्बत की नहीं मुझसे " , प्रिये ! तुम झूठ मत बोलो…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on July 20, 2019 at 4:00pm — 8 Comments
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