(1) बूँदें नहीं
चाँदी के सिक्के गिरते हैं
बादलों की झोली से
और धरती लूट लेती है ।
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(2) वर्षा कुबेर
दोनों हाथों से लुटाता है
वर्षा -धन
नदियाँ, सरोवर और तालाब
लूटकर संग्रहित कर लेते हैं ।
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(3) बारिश की आत्मकथा
साल भर लिखते रहते हैं
पेड़-पौधे और हरियाली ।
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(4) बारिश की बूँदें
नई धुनें
तैयार करने लगती है
राग-मल्हार के लिए ।
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(5) बारिश का
अहसास कब होता है ?
जब…
Added by Mohammed Arif on July 17, 2018 at 8:36am — 27 Comments
(1) ख़त्म तपन
हरा हुआ चमन
मचले मन ।
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(2) भीगी है रात
बादलों की बारात
हो मुलाक़ात ।
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(3) खेत-मैदान
हरियाली मचले
जीवन चले ।
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(4) कहीं बरसे
मन मौजी बादल
धरा को बल ।
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(5) नदियों में है
लहरों का यौवन
जल का धन ।
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(6) घर-आँगन
जल की मनमानी
जीने की ठानी ।
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(7)ककड़ी-भुट्टे
मन को ललचाते
सबको भाते ।
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(8) बूँदें…
Added by Mohammed Arif on July 4, 2018 at 8:54am — 21 Comments
शैतानों की देखो दावत करता है
पापी है पर जन्नत जन्नत करता है ।
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कोई तुझे न देखे अच्छी नज़रों से
क्यों तू ऐसी वैसी हरकत करता है ।
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क्या होता है हाथों की रेखाओं में
मिहनत कर क्यों क़िस्मत क़िस्मत करता है ।
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काली काली बदली जब भी छाये तो
दहक़ाँ फिर बारिश की हसरत करता है ।
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भेद नहीं है कोई उसकी नज़रों में
फिर क्यों तू औरों से नफ़रत करता है ।
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अता किया सबकुछ क़ुदरत ने उसको पर
वो तो…
Added by Mohammed Arif on July 1, 2018 at 4:22pm — 13 Comments
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