For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – July 2015 Archive (7)

बुनियाद (लघुकथा)

''सुनो बंटी के पापा , काहे इतना विलाप करते हो। ''

''बंटी की माँ .... तुम्हें क्या पता ,पिता के जाने से मेरे जीवन का एक अध्याय ही समाप्त हो गया। ''

'' मैं आपके दुःख को समझ सकती हूँ। मुझे भी पिता जी के जाने का बहुत दुःख है लेकिन धीरज तो रखना पड़ेगा। आप यूँ ही विलाप करते रहेंगे तो उनकी आत्मा को चैन कहाँ मिलेगा। '' धर्मपत्नी ने ढाढस देते हुए कहा।

''वो तो ठीक है बंटी की माँ … लेकिन आज पिता के गुजर जाने से न केवल मेरे सिर से वटवृक्ष की छाया चली गयी बल्कि ऐसा लगता है मेरा जीवन की…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 31, 2015 at 8:00pm — 6 Comments

ये ज़िंदगी ....

ये ज़िंदगी ....

ज़िंदगी हर कदम पर रंग बदलती है

कभी लहरों सी मचलती है

कभी गीली रेत पे चलती है

कभी उसके दामन में

कहकहों का शोर होता है

कभी निगाहों से बरसात होती है

संग मौसम के

फ़िज़ाएं भी रंग बदलती हैं

कभी सुख की हवाएँ चलती हैं

कभी हवाएँ दुःख में आहें भरती हैं

बड़ी अजीब है ज़िंदगी की हकीकत

जितना समझते हैं

उतनी उलझती जाती है

अन्ततः थक कर

स्वयं को शून्यता में विलीन कर देती है

न जाने कब

ज़हन में यादों का…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 29, 2015 at 8:10pm — 2 Comments

अपने अधरों से ....

अपने अधरों से ....

अपने अधरों से अधरों पर कोई कथा न लिख जाना

अंतर्मन के प्रेम सदन की कोई व्यथा न लिख जाना

श्वास  सुरों  में स्पंदन तुम्हारा

स्मृति  भाल पे चंदन  तुम्हारा

प्रेम  पंथ  की मन  कन्दरा  में

कोई विरह प्रथा न लिख जाना

अपने अधरों से अधरों पर कोई कथा न लिख जाना

अंतर्मन के प्रेम सदन की कोई व्यथा न लिख जाना

संचित पलों  की  मृदुल अनुभूति

अभी रक्ताभ अधरों पर जीवित है

तुम नीर भरे नयनों के भाग्य…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 23, 2015 at 5:23pm — 4 Comments

चाँद मेरा आया है.........

चाँद मेरा आया है....

क्यों अपने रूप पे

ऐ चाँद तूं इतराया है

आसमां के चाँद सुन

मेरे चाँद का तू साया है

अक्स पानी में तेरा तो

इक हसीँ छलावा है

अक्स नहीं हकीकत है वो

जो इन बाहों में समाया है

वो ख़्वाब है मेरी नींदों का

हकीकत में हमसाया है

अपने हाथों से ख़ुदा ने

महबूब को बनाया है

एक शबनम की तरह

वो हसीं अहसास है

देख उसके रूप ने

तेरे रूप को हराया है

किसकी ख़ातिर बेवज़ह

देख तू शरमाया है

मुझसे मिलने चांदनी…

Added by Sushil Sarna on July 12, 2015 at 10:43pm — 4 Comments

चेप्टर-२ - विविध दोहे

चेप्टर-२ - विविध दोहे

बिना समर्पण भाव के , प्रीत न सच्ची होय

छल करता जो प्रीत में , दुखी सदा वो होय

ढोंगी या संसार  में, मिला  न  अपना कोय

वर्तमान  की  प्रीत में, बस  धोखा  ही होय

न्यून  वस्त्र  में आ गयी, वर्तमान  की नार

लोक लाज  बिसराय  के, करें नैन तकरार

औछे  करमन से भला, कैसे सदगति होय

जैसी संगत  साथ हो,  वैसी  ही मति होय

पुष्प  छुअन  में शूल से,  कैसे दर्द न होय

टूट  के डारि  से भला,…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 9, 2015 at 3:30pm — 13 Comments

सिर्फ देखा है जी भर के …

सिर्फ देखा है जी भर के …

सिर्फ देखा है जी भर के  हमने तुम्हें

इस ख़ता पे  न  इतनी सज़ा दीजिये

ज़िंदगी भर हम ग़ुलामी करेंगे मगर

रुख़ से चिलमन ज़रा ये हटा दीजिये

सिर्फ देखा है जी भर  के हमने तुम्हें

इस ख़ता पे न  इतनी  सज़ा दीजिये

हम फ़कीरों  का  दर कोई होता नहीं

हर दर  पे  फ़कीर  कभी  सोता नहीं

अब  खुदा  आपको  हम बना बैठे हैं

अब पनाह दीजिये या मिटा दीजिये

सिर्फ देखा है जी भर के हमने तुम्हें

इस ख़ता पे न…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 7, 2015 at 4:15pm — 18 Comments

चेप्टर -1 - दोहे

चेप्टर -1 - दोहे

निंदा को आतुर रहें, करें नहीं गुणगान
मैल हिया में देख के ,रूठ गए भगवान

मालिक कैसा हो गया ,  तेरा ये इंसान
बन्दे तेरे लूटता , बन  कर वो भगवान


तेरा  अजब  संसार  है,हर  कोई  बेहाल
हर मानव को यूँ लगे, जग जैसे जंजाल


संस्कार  सब  खो गए ,  बढ़ने  लगी  दरार
जनम जनम के प्यार का, टूट गया आधार

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on July 3, 2015 at 4:01pm — 22 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service