उसके आने की डगर अब देखता रहता हूँ मैं।
लेके टूटे ख़ाब शब भर जागता रहता हूँ मैं॥
रोज़ बनकर चाँद आँगन में मेरे आता है वो,
रोज़ उसकी…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on August 13, 2012 at 1:00am — 8 Comments
कभी जब दिल से दिल का ख़ास रिश्ता टूट जाता है॥
तो फिर लम्हों में सदियों का भरोसा टूट जाता है॥
भले जुड़ जाये समझौते से पहले सा नहीं रहता,
मुहब्बत का अगर इक बार शीशा टूट जाता है॥
क़ज़ा की आंधियों के सामने टिकता नहीं कोई,
सिकंदर हो कलंदर हो या दारा टूट जाता है॥
कभी हिम्मत नहीं हारा जो मीलों मील उड़कर भी,
कफ़स में क़ैद होकर वह परिंदा टूट जाता है॥
यूं चलना चाहते तो है सभी राहे सदाक़त पर,
मगर…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on August 3, 2012 at 5:00pm — 15 Comments
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