" बधाई – कुण्डलिया "
ओ.बी.ओ. के फलक पर , देखा है संदेश
मना रहे हैं जन्म-दिन , गुप्ता चंद्र दिनेश
गुप्ता चंद्र दिनेश , कहे जाते हैं रविकर…
Added by अरुण कुमार निगम on August 15, 2012 at 10:19am — 4 Comments
कैसे – कैसे मंजर आये प्राणप्रिये
अपने सारे हुये पराये प्राणप्रिये |
सच्चे की किस्मत में तम ही आया है
अब तो झूठा तमगे पाये प्राणप्रिये |
ज्ञान भरे घट जाने कितने दफ्न हुये
अधजल गगरी छलकत जाये प्राणप्रिये |
भूखे - प्यासे हंसों ने दम तोड़ दिया
अब कौआ ही मोती खाये प्राणप्रिये |
यहाँ राग - दीपक की बातें करता था
वहाँ राग – दरबारी गाये प्राणप्रिये |
सोने…
Added by अरुण कुमार निगम on August 5, 2012 at 10:31am — 12 Comments
राह तकती है तुम्हारी,
आज यह सूनी कलाई....
स्मृति बस स्मृति ही ,
शेष है सूने नयन में
बिम्ब दिखता है तुम्हारा,
आज मधु मंजुल सुमन में
यूँ लगा कि द्वार खुलते
ही मुझे दोगी दिखाई
राह तकती है तुम्हारी
आज यह सूनी कलाई.........................
आरती की थाल कर में
दीप आशा का जलाये
इस धरा पर कौन है जो
नेह की सरिता लुटाये
श्रावणी वर्षा हृदय में
आज मेरे है समाई
राह तकती है तुम्हारी
आज यह सूनी…
Added by अरुण कुमार निगम on August 2, 2012 at 1:18pm — 21 Comments
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