सार छंद | १६-१२ पर यति , अंत दो गुरु |
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Added by Shyam Narain Verma on August 14, 2013 at 1:00pm — 12 Comments
कागज़ के फूलों को सजाया जा रहा है | |
हरे भरे बागों को मिटाया जा रहा है | |
क्या होगा हाल उन कश्तियों का , |
जिन्हें सुर्ख रेत पर चलाया जा रहा है | |
कैसे सूखे आँसू उन ग़मगीन आँखों का … |
Added by Shyam Narain Verma on August 3, 2013 at 3:54pm — 8 Comments
आती है जब ग़म की आँधी , डूबता खुशी का किनारा | |
मंजिल पाने की चाहत में , कोई जीता या हारा | |
कुछ सोचें कुछ हो जाता है , मारा जाता है बेचारा | |
हार जीत के लालच में ही , बस… |
Added by Shyam Narain Verma on August 1, 2013 at 2:26pm — 9 Comments
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