२१२२ २१२२ २१२२ २१२
वो कहें सागर में मिलकर आज दरिया खो गया
हम कहें सागर से दरिया मिल के सागर हो गया
सोच कुछ तेरी जुदा है सोच कुछ मेरी अलग
सोचिये सोचों का अंतर आज कैसा हो…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on August 28, 2014 at 9:57am — 17 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
राह पर्वत पर बनाना इतना आसाँ है नहीं
दीप आंधी में जलाना इतना आसाँ है नहीं
सरहदों पे जान देते आज माँ के लाडले
गीत आजादी के गाना इतना आसाँ है नहीं
दोस्ती का हाथ लेकर फिर खड़े अहबाब हैं
जो दफ़न उसको जगाना इतना आसाँ है नहीं
बस्तियां चाहें जला लें आप कितनी भी यहाँ
है हकीकत घर बनाना इतना आसाँ है नहीं
हाथ हाथों से मिलाये हर किसी ने बज्म में
दिल से…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on August 22, 2014 at 1:30pm — 24 Comments
२१२२ २१२२ २१२२
सबने पूंछा आदमी को क्या हुआ है ?
क्या बताता आदमी को क्या हुआ है ?
खूबसूरत जिन्दगी बख्सी खुदा ने
गम ने मारा आदमी को क्या हुआ है ?
कोख में पाला हैं जिसने आदमी को
उसको लूटा आदमी को क्या हुआ ?
अब नहीं महफूज बहनें भी वतन में
सबने सोचा आदमी को क्या हुआ है ?
जिन्दगी की दौड़ में हो बेखबर यूं
फर्ज भूला आदमी को क्या हुआ है ?
मौलिक व…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on August 7, 2014 at 2:55pm — 8 Comments
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