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गुनगुनाते हुए ज़िन्दगी की ग़ज़ल
मैं चला जा रहा राह अपनी बदल
हुस्न को देख दिल जो गया था मचल
आज उसको भी देखा है मैंने अटल
वो घने गेसू गुल से हसीं लव कहाँ
है मुकद्दर खिजाँ तो खिजाँ से बहल
उनके कूचे में मेरा जनाजा खड़ा
सोचता अब भी शायद वो जाए पिघल
शक्ल में गुल की ये मेरे अरमान हैं
नाजनी इस तरह तू न गुल को मसल
चैन मुझको मिला कब्र में लेटकर
शोरगुल भी नहीं न…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on August 7, 2015 at 2:52pm — 13 Comments
२१२२ ११२२ ११२२ २२
मैं तो दीवाना हूँ मुझको न जलाओ ऐसे
मेरे ख़त आज हवा में न उड़ाओ ऐसे
चांदनी रात में ऐ चाँद यूं छत पे आकर
मेरे सोये हुए अरमाँ न जगाओ ऐसे
रेत पे जैसे निशाँ क़दमों के बैसे ही सही
दिल से धुंधली मेरी यादें न मिटाओ ऐसे
अब्र-ए- जुल्फ में खुद को यूं छुपा लेते हो
मैं तड़प जाता हूँ मुझको न सताओ ऐसे
तुम समंदर ए गुहर हो ये सभी को है पता
पर न आँखों के गुहर अपने लुटाओ ऐसे
बिन…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on August 1, 2015 at 2:30pm — 11 Comments
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