" यार ,वहां जो चर्चा चल रही है , उसके बारे में कोई जानता है क्या ?" कैंटीन में बैठे हुए करण ने अपने साथियों से पूछा |"
" , क्या वही चर्चा जिसमें इतिहास की बातें चल रही हैं ? सुना है वहां भारत में पहले कौन आया इस विषय पर चर्चा हो रही है |" साथी मित्र ने उत्तर दिया |
दूसरा बोला , ", मुझे तो बचपन से लगता रहा है कि, उफ्फ् कितनी सारी तारीखें , कितने देश और उनके साथ जुड़ा उनका इतिहास | "
" जो भी हो पर यह है तो बड़ा दिलचस्प , समय बदला तारीखें बदली , राजा महाराजा बदले , राज करने…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 29, 2017 at 3:00pm — 7 Comments
१२२ १२२ १२२ १२२
नहीं है यहाँ पर मुझे जो बता दे
सही रास्ता जो मुझे भी दिखा दे
ये कैसी हवा जो चली है यहाँ पर
परिंदा नहीं जो पता ही बता दे
चले थे कभी साथ साथी हमारे
पुरानी लकीरों से यादें मिटा दें
कभी तो मिलेगी ज़िन्दगी पुरानी
वफ़ा की ज्वाला यहाँ भी जला दे
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 24, 2017 at 9:00pm — 24 Comments
छन्न पकैया छन्न पकैया , आयी बरखा रानी
बोली बच्चों अंदर बैठो , मेरी बूढ़ी नानी |
छन्न पकैया छन्न पकैया , भूख लगी है नानी
गरमा गरम पकौड़े खाएं , बोली गुड़ियाँ रानी |
छन्न पकैया छन्न पकैया , सबर रखो तुम मुनिया
मंडी से लाना होगा अब , प्याज , मिर्च औ धनियाँ|
छन्न पकैया छन्न पकैया , मिलकर खाओ भैया
आओ फिर हम नाचे गायें, करके ता ता थैया |
छन्न पकैया छन्न पकैया , जब जब भरता पानी
छप छप करते हैं पानी…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 19, 2017 at 11:30pm — 14 Comments
आभासी इस दुनिया में क्या
आभास भी आभासी होते हैं ?
शक्ल नहीं होती है सामने
इंसान भी आभासी होते हैं ?
समय समय पर बनते बिगड़ते
रिश्ते भी आभासी होते हैं ?
इंसान में इंसानियत नहीं तो
आभासी इंसान भी होते हैं ?
बदलते युग का आगाज़ है
असली और नकली भी होते हैं ?
साहित्य कोष में भी
कहीं आभासी शब्द होते हैं ?
जाने कितने ऐसे सवाल है मन…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 16, 2017 at 4:00pm — 3 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 13, 2017 at 9:29am — 7 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 12, 2017 at 11:30am — 6 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 12, 2017 at 10:34am — 9 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 9, 2017 at 12:28pm — 6 Comments
फिर आ गयी है रात
पूनम के बाद की
खिला हुआ चाँद
कह रहा है कुछ
क्या तुम सुन रहे हो ?
तारों से कर रहें हैं बातें
तन्हा बीत जाती हैं रातें
देखता है यह चाँद यूँही
हँसता होगा यह भी देख मुझको
क्या तुम सुन रहे हो ?
साथ चलने को कहा था
थामकर हाथ चल रहे थे
फिर क्या हुआ यकायक
कैसे गरज गए यह बादल
क्या तुम सुन रहे हो
चमक रही है बिजली
चाँद…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 8, 2017 at 10:00pm — 13 Comments
हो रहा कलरव श्यामा का
उठो देखो बाहर
सूर्य उठा रहा चादर
हो रही है भोर
नारंगी नभ से खिलता
बादलों को चीरता हुआ
कह रहा है हमसे
हो रही है भोर
पत्तों पर ओस शर्माती
देख सूर्य की किरणे
खुद को समेटती कहते हुए
हो रही है भोर
मिट्टी की सौंधी सी महक
कलियों का खिलना
धुप देख मुस्कुराना कहता है
हो रही है भोर
उठो छोडो बिस्तर अब…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 8, 2017 at 9:30pm — 6 Comments
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