दर्द को क्यों आज मेरी याद आई है
हो रही मद्धम सफ़ों की रोशनाई है।
मुद्दत हुई जो तड़प हम भूल बैठे थे
वो ग़ज़ल फिरआज दिल ने गुनगुनाई है ?
आजमाता ही रहा मौला मुझे हर वक़्त
खूब किस्मत है गज़ब की आशनाई है।
माना जर्रा भी नहीं हम कायनात के
तेरे दर तक हर सड़क हमने बनाई है।
मेरे सूने से मकाँ में मेहमान बन के आ
बियाबाँ में बहारों की बज़्म सजाई है ।
दरिया के किनारों सा चलता रहा सफ़र
इस ओर ख्वाहिशें हैं उस ओर खुदाई है।…
Added by dr lalit mohan pant on August 20, 2013 at 1:00pm — 15 Comments
है बहुत मजबूर वो जमाने से भागता होगा
नींद की ख्वाहिश में रात भर जागता होगा।
रौशनी के चंद कतरे रखे थे अँधेरों से छुपा
क्या पता था कोई दरारों से झाँकता होगा।
जमीं से उठते हुये ताकते रहे आस्माँ को हम
ये न सोचा था कभी वो हमें भी ताकता होगा।
आज समझा अहले दौराँ की तिज़ारत देखकर
शैतान भी इन्साँ से अब पनाहें माँगता होगा।
घटा घनघोर घिरती है गरजती है बरसती…
Added by dr lalit mohan pant on August 8, 2013 at 2:30am — 16 Comments
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