(12122)×4
ये ज़िंदगी का हसीन लमहा
गुजर गया फिर तो क्या करोगी
जो जिंदगी के इधर खड़ा है
उधर गया फिर तो क्या करोगी
तुम्हें सँवरने का हक दिया है
वो कोई पत्थर का तो नहीं है
लगाये फिरती हो जिसको ठोकर
बिखर गया फिर तो क्या करोगी
कि जिनकी शाखों पे तो गुमां है
मगर उन्हीं की जड़ों से नफरत
"वो आँधियों में उखड़ जड़ों से"
शज़र गया फिर तो क्या करोगी
जिसे अनायास कोसती हो
छिपाए बैठा है पीर…
ContinueAdded by आशीष यादव on August 25, 2020 at 2:30am — 6 Comments
उसकी ना है इतनी सी औकात मगर हड़का रहा है
झूठे में ही खा जाएगा लात मगर हड़का रहा है
औरों की बातों में आकर गाल बजाने वाला बच्चा
जिसके टूटे ना हैं दुधिया दाँत मगर हड़का रहा है
जिसके आधे खर्चे अपनी जेब कटाकर दे रहे हैं
अबकी ढँग से खा जायेगा मात मगर हड़का रहा है
आदर्शों मानवमूल्यों को छोड़ दिया तो राम जाने
कितने बदतर होंगे फिर हालात मगर हड़का रहा है
उल्फत की शमआ पर पर्दा डाल रहा है बदगुमानी
कटना मुश्किल है नफरत की रात…
Added by आशीष यादव on August 10, 2020 at 6:36pm — No Comments
2122 2122 2122 2122
वो न बोलेगा हसद की बात उसने पी रखी है
सिर्फ़ होगी प्यार की बरसात उसने पी रखी है
होश में दुनिया सिवा अपने कहाँ कुछ सोचती है
कर रहा है वो सभी की बात उसने पी रखी है
मुँह पे कह देता है कुछ भी दिल में वो रखता नहीं है
वो समझ पाता नहीं हालात उसने पी रखी है
झूठ मक्कारी फ़रेबी ज़ुल्म का तूफ़ाँ खड़ा है
क्या वो सह पायेगा झंझावात? उसने पी रखी है
जबकि सब दौर-ए-जहाँ में लूटकर घर भर रहे हों…
ContinueAdded by आशीष यादव on August 3, 2020 at 12:30pm — 4 Comments
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