बेटी से हैं सृष्टि सारी
बेटी से संसार है न्यारी
बेटी घर देहरी फुलवारी
बेटी से मान और गान है ..............
बेटी अभिमान है
देश का सम्मान है
शिक्षा ,पोषक में रही अधूरी
सदियों मर कर जीती आई
बहुत हुआ ये भेदभाव
बहुत हुआ अब अपमान है ...........
बेटी अभिमान है
देश का सम्मान है
धोखा धोखा है जग आशा
बेटी पर ना किया भरोसा
बेटा ही बेटा करते आये
समझा क्या बेटी शान है ...........
बेटी अभिमान है
देश का सम्मान…
Added by kanta roy on September 24, 2015 at 4:30am — 6 Comments
"कितने बडे परिवार में व्याह दिया तुमने माँ , एक बार भी नहीं सोचा कि कैसे निभाऊँगी मै ? "
"नहीं बिट्टो ऐसा नहीं कहते ,भरा - पूरा घर है तुम्हारा । ऐसे परिवार क़िस्मत- वालियों को मिलते है । "
"खाक क़िस्मत -वालियाँ , तुम नहीं जानती कि मुझे , इतनीss सारी रोटियां अकेले सेंकनी पडती है ।"
"घर के लोगों की रोटियां नहीं गिनते बिट्टो , नजर लग जाती है ।" माँ हल्की चपत लगाते हुए कह उठी थी उस दिन ।
माँ का लाड़ से मुस्कुरा…
ContinueAdded by kanta roy on September 16, 2015 at 11:00pm — 27 Comments
पति को आॅफिस के लिये विदा करके ,सुबह की भाग - दौड़ निपटा पढने को अखबार उठाया , कि दरवाजे की डोर बेल बज उठी ।
"इस वक्त कौन हो सकता है !" सोचते हुए दरवाजा खोला। उसे मानों साँप सूँघ गया । पल भर के लिये जैसे पूरी धरती ही हिल गई थी । सामने प्रतीक खड़ा था ।
"यहाँ कैसे ?" खुद को संयत करते हुए बस इतने ही शब्द उसके काँपते हुए होठों पर आकर ठहरे थे ।
"बनारस से हैदराबाद तुमको ढूंढते हुए बामुश्किल पहुँचा हूँ ।" वह बेतरतीब सा हो रहा था । सजीला सा प्रतीक जैसे कहीं खो गया था ।
"आओ…
Added by kanta roy on September 8, 2015 at 10:30am — 2 Comments
" पापा , हम गरीब क्यों है ? "
" नहीं बेटा हम गरीब कहाँ .... देखो तो ....तुम शहर के सबसे बडे़ स्कूल में जो पढते हो ! " बेटे को दुलारते हुए पिता ने गोद में बिठा लिया ।
"लेकिन पापा , मेरे दोस्त कहते है कि मै गरीब हूँ । " बच्चे का मन बेहाल सा था ।
" क्यूँ कहते है तुम्हें वो गरीब ... अभी तो ...उस दिन तुम्हारे जन्मदिन पर शानदार दावत दी तुम्हारे दोस्तों को ! " पिता मन को कड़ा कर रहे थे ।
" तभी तो कहा ! उस दिन हमारे घर आने से ही तो उनको मालूम हुआ की हम गरीब है । वो कहते है कि…
Added by kanta roy on September 6, 2015 at 7:00pm — 13 Comments
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