12122×4
हमीं थे सच के करीब दिलबर यकीन तुमको दिलायें कैसे
नज़र से तुमने गिरा दिया जब नज़र में तुमको बसायें कैसे
मिज़ाज़ से तो गई नहीं है तुम्हारी यादें तुम्हारी बातें
जमीं से पौधा उखड़ गया पर हवा से खुशबू मिटायें कैसे
जो पकड़े बैठे हैं जिंदगी को वो अपने साये से डर गए हैं
तमाम दौलत कमा चुके हैं सुकून दिल का कमायें कैसे
ग़ज़ल की उंगली पकड़ के चलना सभी के गम में उदास होना
यही तो शाइर की जिंदगी है हम इसको नेमत बतायें…
ContinueAdded by मनोज अहसास on September 27, 2019 at 2:36am — 6 Comments
2×15
एक ताज़ा ग़ज़ल
वो कहते हैं चाहत कब थी वो इक झूठा सपना था
मुझको भी वो भूलना होगा जो कुछ मैंने सोचा था
इससे बेहतर खुद को समझाने की बात नहीं कोई
जो कुछ किस्मत में लिक्खा था वो तो आखिर होना था
कुछ सालों से मैंने खुद को हँसते हुए नहीं देखा
कुछ सालों मैंने तेरी झूठी मुस्कान को देखा था
सोच समझ वाले लोगों की कुछ भी समझ नहीं आया
जाने कौन सा योग था जो मेरी कुंडली में बैठा था
तरकीबें नाकाम रही सब दुख से तुझे…
ContinueAdded by मनोज अहसास on September 26, 2019 at 12:48am — 2 Comments
12122×4
अंधेरी घाटी में रोशनी का हसीन चश्मा जरूर होगा
हमें खबर तो नहीं है फिर भी तलब का रस्ता जरूर होगा
पुराने शब्दों की बारिशों में सकून अपना तलाश कर ले
जो उसके दिल में कहीं नहीं था वो खत में लिक्खा जरूर होगा
तेरे कदम यूं जमे हुए हैं, तुझे हिलाना सरल नहीं है
हमारी आहों से फिर भी इक दिन तेरा तमाशा जरूर होगा
चरागों का दम चुराने वाले क्या तुझको इतनी समझ नहीं है,
बुझेगी सूरज की जिंदगी जब, इन्हें जलाना जरूर होगा…
Added by मनोज अहसास on September 24, 2019 at 12:50am — 4 Comments
11212×4
मुझे पीसते हैं जो हर घड़ी,न वो दर्द मुझसे लिखे गए
किसी बेजुबान ख्याल में कई शेर यूं ही कहे गए
भरी रात में तेरी याद के जो चिराग बुझ के महकते हैं,
उन्हें जिंदा रखने की चाह में कई जाम हमसे पिये गये
जिसे हम समझते थे अपना घर वो जहान हमसे था बेखबर
कई रास्ते तो मकान के मुझे तोड़कर भी बुने गए
मुझे ढूंढ लाने की चाह में ,मेरे दोस्तों के वो मशवरे
मेरी जिंदगी का अज़ाब थे सो इसीलिए न सुने गए
कहीं सर…
ContinueAdded by मनोज अहसास on September 12, 2019 at 11:33pm — 3 Comments
2122×3+212
जिंदगी ने सब दिया पर चैन का बिस्तर नहीं
जिस जगह सर को न पटका ऐसा कोई दर नहीं
हार कर मजबूर होकर आज ये कहना पड़ा
इश्क इक ऐसा परिंदा है कि जिसका घर नहीं
मुझको मंजिल से जुदा कर तूने साबित कर दिया
मैं तेरे रस्ते पे हूं पर तू मेरा रहबर नहीं
इस जहां में बस वही आराम से जीता मिला
जिसको अपनी ही गरज है आसमां का डर नहीं
आंखों से ख्वाबों के संग तेरा भरोसा भी गया
मुझको जीना तो पड़ेगा पर तेरा होकर…
Added by मनोज अहसास on September 10, 2019 at 10:17pm — 4 Comments
2×15
इस दुनिया में एक तमाशा जाने कितनी बार हुआ
वो दरिया में डूब गया जो तैर समंदर पार हुआ
अच्छे दिन की चाहत वालों ऐसी भी क्या बेताबी
चार नियम बनते ही बोले जीना ही दुश्वार हुआ
एक पहाड़ी पर शीशे के घर में बैठा बाजीगर
नाच नचाकर देख रहा है कौन बड़ा फनकार हुआ
तुमने अपने मातम पर भी खर्च किया मोटा पैसा
और किसी निर्धन के घर में मुश्किल से त्यौहार हुआ
चार कदम की दूरी पर थी मंजिल…
ContinueAdded by मनोज अहसास on September 8, 2019 at 10:40pm — 1 Comment
2×15
सबका इक दिन आता है दिन मेरा भी आ जायेगा
जीवन पूरा होते-होते जीना भी आ जायेगा
आहें भरना सीख गए तो लिखना भी आ जायेगा
इन शब्दों में इक दिन उसका चेहरा भी आ जायेगा
इसको मन की लाचारी भी कहते हैं दुनिया वाले
खुद से बातें करते करते कहना भी आ जायेगा
आलू पर मिट्टी लिपटी थी ,मिट्टी से जब आया था
दुनिया में कुछ रोज रहेगा छिलका भी आ जायेगा
जिसकी चाहत में इतने दिन आस लगाकर जिंदा थे
मिल…
Added by मनोज अहसास on September 6, 2019 at 11:41pm — 2 Comments
2×15
मेरे मन की लाचारी में जल जायें ना मेरे हाथ
मुझको फिर से पावन कर दे तू हाथों में लेके हाथ
मम्मी,पापा,बहना,भाई,बीवी,बच्चे और साथी
काम-समय अपने हाथों में दिखते मुझको सबके हाथ
सुन लेने की आदत को कमजोरी समझा जाता है
सच्चे साबित हो जाते हैं पल-पल हाथ नचाते हाथ
सच कहने की चाहत तो है लेकिन इन झूठों के बीच
कैसे सबको बतलाऊं मैं मेरे भी हैं काले हाथ
अपना मानना,अपना कहना,अपना होना बात कई
लेकिन…
Added by मनोज अहसास on September 2, 2019 at 11:10pm — 2 Comments
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