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"रमल मुसम्मन महजूफ"
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जिंदगी तू ही बता दे जुस्तजू क्या है
इक निवाले के सिवा अब आर्ज़ू क्या है
ख़ास जोरोजर समझते हैं जहाँ …
ContinueAdded by rajesh kumari on September 25, 2013 at 2:30pm — 37 Comments
२ १ २ २ २ १ २ २ २ १ २
रुक्न --फ़ाइलातुन ,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन
बह्र --रमल मुसद्दस महजूफ
पत्थरों से ज्यों मुहब्बत हो रही
गुगुनाने को तबीयत हो रही…
ContinueAdded by rajesh kumari on September 16, 2013 at 2:00pm — 39 Comments
नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे
नई डगर पे अब क़दमों को मोड़ दे!!
राहों में जब
तेरी कंटक आयेंगे
उलझेंगे फिर
मन को बहुत डरायेंगे
आगे बढ़कर उस डाली को तोड़ दे
जहरीली मूलों को तू झिंझोड़ दे
नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
घर के तेरे
दरवाजे भी टोकेंगे
मर्यादा की
बैसाखी से रोकेंगे
आगे बढ़कर उनके रुख को मोड़ दे
घूंघट में छुप कर शर्माना छोड़ दे
नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
दुश्मन तेरे…
ContinueAdded by rajesh kumari on September 14, 2013 at 1:16pm — 19 Comments
२ १ २ २ २ १ २ १ १ २ १ २
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छोडो अपनी ढाई चाल बहुत हुआ
खून में आया उबाल बहुत हुआ
आम जनता की आवाज दबे नहीं
देश में लाये भूचाल बहुत हुआ …
ContinueAdded by rajesh kumari on September 6, 2013 at 7:30pm — 20 Comments
दीवार तग़ाफुल की ये ढाओ तो सही
इक बाँध रिफ़ाकत का बनाओ तो सही
आ पाक मुहब्बत में मिटा दें सरहदें
इस ओर जरा हाथ बढ़ाओ तो सही
हैरान परेशान खड़े हो इस…
ContinueAdded by rajesh kumari on September 2, 2013 at 9:30am — 35 Comments
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