कलावती देवी को प्राइमरी शिक्षिका के पद से सेवानिवृत्त हुए चौदह पन्द्रह वर्ष बीत चुके थे | पति का देहांत हो गया था और वह अपने बेटे के साथ रहती थीं | अकेलेपन और अवहेलना ने उनको चिड़ाचिड़ा बना दिया था | कान से कम सुनाई देता था इस लिए खुद भी तेज आवाज में बोलती थीं, ऐसा कि पूरा मोहल्ला सुनता | बाहर बैठ कर अखबार और अध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ना यही उनकी दिनचर्या थी | सास-बहू का जैसे सांप छछूंदर सा बैर था, ना तो बहू उनका ख्याल रखती ना ही वह बहू पर तंज कसने का कोई मौका छोड़तीं | बहू उनका खाना निकाल कर रख…
ContinueAdded by Meena Pathak on September 13, 2016 at 3:30pm — 6 Comments
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