तमन्नाओं को फिर रोका गया है
बड़ी मुश्किल से समझौता हुआ है.
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किसी का खेल है सदियों पुराना
किसी के वास्ते मंज़र नया है.
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यही मौक़ा है प्यारे पार कर ले
ये दरिया बहते बहते थक चुका है.
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यही हासिल हुआ है इक सफ़र से
हमारे पाँव में जो आबला है.
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कभी लगता है अपना बाप मुझ को
ये दिल इतना ज़ियादा टोकता है.
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नहीं है अब वो ताक़त इस बदन में
अगरचे खून अब भी खौलता है.
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हम अपनी आँखों से ख़ुद देख आए
वहाँ बस…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 14, 2021 at 9:00am — 20 Comments
वज़्न - 2122 2122 2122 212
ज़ीस्त की शीरीनियों से दूरियाँ रह जाएँगी
बिन तुम्हारे महज़ मुझ में तल्ख़ियाँ रह जाएँगी
वक़्त-ए-रुख़सत अश्क के गौहर लुटाएँगी बहुत
सूनी सूनी चश्म की फिर सीपियाँ रह जाएँगी
रेत पर लिख कर मिटाई हैं जो तुमने मेरे नाम
ज़ह्न में महफ़ूज़ ये सब चिट्ठियाँ रह जाएँगी
बातें मूसीक़ी-सी तेरी हैं मगर कल मेरे साथ
गुफ़्तगू करती हुई ख़ामोशियाँ रह जाएँगी
एक घर हो घर में तुम हो तुमसे सारी…
ContinueAdded by Anjuman Mansury 'Arzoo' on October 11, 2021 at 8:30pm — 10 Comments
1212 1122 1212 112
यूँ उम्र भर रहे बेताब देखने के लिये
किसी कँवल का हंसीं ख़ाब देखने के लिये
कहाँ थे देखो सनम हम कहाँ चले आये
वो गुलबदन के वो महताब देखने के लिये
न जाने कब से हक़ीक़त की थी तलब हमको
न जाने कब से थे बेताब देखने के लिये
छुआ तो जाना हर इक ख़्वाब था धुआँ यारो
बचा न कुछ भी याँ नायाब देखने के लिये
क़रीब जा के हर एक चीज खोयी है हमने
लुटे हैं ज़िंदगी शादाब देखने के…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on October 10, 2021 at 12:00pm — 8 Comments
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