२१२२ १२१२ २२
जिंदगी और इम्तिहान न ले
कुछ भी ले ले मेरा गुमान न ले
मशविरा है यही फकीरों का
यूं कभी दी हुई ज़बान न ले
राह आसां नहीं है उल्फत की
नन्हे से दिल मे आसमान न ले
चल खिलोनों से खेलते हैं हम
तू अभी हाथ में कृपान न ले
जो पड़ोसी है मुल्क उसको बता
असलहों से भरी दुकान न ले
खुल के जी खुद भी, सब को दे…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on October 22, 2013 at 12:30pm — 29 Comments
१२२२ १२२२
बड़ी बातें मियां छोड़ों
हमारा दिल न यूं तोड़ों
न हिन्दू है न वो मुस्लिम
वो हिंदी है उसे जोड़ो
छलकती हैं जहाँ आँखें
मुझे रिन्दों वहां छोड़ों
लगें दिलकश जो शाखों पे
हसीं गुल वो नहीं तोड़ों
मिलेगी वक़्त पर कुर्सी
मियाँ कुर्सी को मत दौड़ों
लुटी कलियाँ चमन की हैं
दरिंदों को नहीं छोड़ों
बचा कुर्सी वतन बेंचा
शरारत ये जरा…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on October 19, 2013 at 2:30pm — 18 Comments
दिल के बिना जैसे कोई नादान जिन्दा रह गया
वैसे हो बेघर इक हसीं अरमान जिन्दा रह गया
है आदमी ही आदमी की जान का दुश्मन हुआ
यारों खुदा का है करम इंसान जिन्दा रह गया
टूटा हमारा हौसला उम्मीद फिर भी थी जवां
रख आरजू जीने की ये बेजान जिन्दा रह गया
मेरे खुदा मुझ पर तेरा रहमो करम हरदम रहा
तूफ़ान में अदना सा ये इंसान जिन्दा रह गया
लगते रहे हर रोज ही इल्जाम तो हम पर बड़े
माँ की दुआओं से…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on October 13, 2013 at 3:46pm — 22 Comments
यूं मुझे भूल न पाओगे था मालूम मुझे
दिल में लोबान जलाओगे था मालूम मुझे
अपने अश्कों से भिगो बैठोगे मेरा दामन
एक दिन मुझको रुलाओगे था मालूम मुझे
मैंने सीने से लगा रक्खा है तेरा हर ख़त
ख़त मगर मेरा जलाओगे था मालूम मुझे
यूं तो वादा भी किया, तुमने कसम भी खाई.
गैर का घर ही बसाओगे था मालूम मुझे
सारे इलज़ाम ले बैठा तो हूँ मैं अपने सर
मिलने पर नजरें चुराओगे था मालूम मुझे
डॉ आशुतोष…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on October 1, 2013 at 1:58pm — 12 Comments
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