२२१ २१२१ १२२१ २१२
बलवाइयों के होंसले जाकर समेट लूँ
मासूम गर्दनों पे हैं खंजर समेट लूँ
आये न बददुआ कभी मेरी जुबान पे
गलती से आ गई तो भी अन्दर समेट लूँ
उम्मीद से बनाया हैं बच्चे ने रेत का
लहरों वहीँ रुको मैं जरा घर समेट लूँ
परवाज आज भर रहा पाखी नई नई
आँखों की चिलमनों में ये मंजर समेट लूँ
जिन्दा रहे यकीन मुहब्बत के नाम पर
फेंके हैं दोस्तों ने जो पत्थर समेट…
ContinueAdded by rajesh kumari on October 25, 2015 at 10:30am — 18 Comments
दिव्य स्वरूपी संस्थिता ,इष्ट अलौकिक शक्ति|
शारदीय नवरात्र में ,शैल सुता की भक्ति||
ब्रह्मलोक संचालिका ,ब्रह्मचारिणी मात्र|
ध्यान ज्ञान आराधना ,शुभ दूजा नवरात्र ||
नाम चन्द्र घंटा सजा ,माँ दुर्गा का रूप|
देता अद्भुत ज्ञान है ,त्रय नवरात्र अनूप||
नाम अन्नपूर्णा धरे ,शाक भरी का पात्र|
माँ कूष्मांडा आ गई ,ले चौथा नवरात्र ||
शुभ पञ्चम नवरात्र है ,माता स्कन्द चरित्र|
खत्म तारकासुर किया…
ContinueAdded by rajesh kumari on October 17, 2015 at 12:35pm — 13 Comments
राजमहल का वो बड़ा सा हॉल खचाखच भरा हुआ था| सभी शिल्पकार अपनी अपनी ढकी हुई मूर्तियों को एक पंक्ति में व्यवस्थित करने में लगे थे | थोड़ी देर में ही राजा मानसिंह मूर्तियों का अनावरण शुरू करने वाले थे| आज का विषय ‘सिर पर घड़ा लिए एक देहाती महिला’ था |
इस बार एक खास बात ये थी की पड़ोसी देश के राजा जो राजा मानसिंह के मेहमान थे मूर्ति का चुनाव करने वाले थे| सभी आपस में फुसफुसा रहे थे की क्या इस बार भी हर बार की तरह मशहूर शिल्पकार पुष्कर सिंह ही ले जायेंगे ईनाम|
भीड़ को…
ContinueAdded by rajesh kumari on October 1, 2015 at 4:33pm — 12 Comments
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