2122 2122 2122 212
मखमली यादों में लिपटी ज़िन्दगानी और है
वो लड़कपन खूब था अब ये जवानी और है
आसमाँ सर पर उठाकर तूने साबित कर दिया
तेरा किस्सा और कुछ था हक़बयानी और है
मैं छुपाता हूँ जहाँ से दर्द-ए-दिल ये बोलकर
हिज़्र की तासीर कुछ मेरी कहानी और है
वस्ल की बातें वो लमहे भूल भी जाऊँ मगर
मेरे दिल में इक मुहब्बत की निशानी और है
आबले हाथों के मुझसे कह रहे हैं फूटकर
कामयाबी और शय है जाँफ़िशानी…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on October 6, 2016 at 5:54pm — 16 Comments
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