कल फिर से जलेगा रावण
मन शांत और दिन पावन
रौनक छाई चेहरों पे ऐसे
पतझड़ में जैसे आया सावन
रावण को जलाने से पहले
अपनें भीतर भी झांको
उसके कर्मों से प्यारे
अपनें कुकर्म भी आँको
उन्नीस बीस का फर्क दिखेगा
उसके ज्यादा कुछ न मिलेगा
रावण तो था शूरवीर
पंडित था…
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 23, 2012 at 11:00am — 3 Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 22, 2012 at 12:26pm — 5 Comments
यह मेरा दर्द है,आँखों से छलक आता है
यूँ ही पैमाना,बदनाम हुआ जाता है
लाख कह ले यह ज़माना,न जीना आया हमें
वक़्त अच्छा हो बुरा हो,गुज़र तो जाता है
सबको हँसता हुआ देख लूँ,मैं चला जाऊँगा
यूँ भी "दीपक" जलनें से कहाँ बच पाता है
मैं न अपनों को याद आऊँ,न गैरों को
प्यार उस हद तक मेरा मुझको,नज़र आता है…
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 17, 2012 at 1:00pm — 3 Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 17, 2012 at 11:44am — 3 Comments
यह हिन्दोस्तान है प्यारे
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 17, 2012 at 10:52am — No Comments
कुछ भी हो सकता है
जंगल राज है कुछ न कहो
ख़ामोशी अपनाओ
बापू के तीन बंदरों जैसे
ज्ञानी बन जाओ
अच्छा देखो न बुरा ही देखो
न ही सुनो न कहो
सुखी जो रहना चाहते हो
मूक दर्शक बन जाओ
वर्ना कुछ भी हो सकता है
सब कुछ लुट सकता है
मौत से डर नहीं लगता तो
हरगिज़ न घबराओ
फैसला आपके हाथ में है
कैसे जीना चाहते हो
इज्जत अगर है प्यारी
मेरे साथ आओ
मेरे साथ आ....…
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 9, 2012 at 1:17pm — 6 Comments
बिनम्र भाव से बोले रावण
क्या मुझे जलाने आए हो
ज्ञानी पंडित भी साथ न लाए हो
मेरी मुक्ति कैसे होगी ?
मेरी मुक्ति नहीं होती
तभी तो बच जाता हूँ
सबसे अधिक बार जलने का
गिनीज़ वर्ल्ड रिकार्ड बनाता हूँ
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 9, 2012 at 11:00am — 5 Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 4, 2012 at 2:30pm — 4 Comments
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