Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 23, 2016 at 10:30am — 5 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 12, 2016 at 10:00pm — 5 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2016 at 8:30pm — 11 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 10, 2016 at 7:51pm — 10 Comments
छोटी छोटी सी खुशियां
भर देती हैं झोली
हंसी ख़ुशी दिन बीते जब
ज़िन्दगी लगती हमजोली
जीवन के है रंग निराले
जो खेले आँख मिचोली
एक आये जब दूजा जाए
ज़िन्दगी लगती मखमली |
लेकर बहार आती है ज़िन्दगी
प्यार से जब सींचि जाती है
कड़वाहट का ज़हर भी पीती
अपना असर दिखाती है |
अपनों के बीच अपनों के संग
प्यार को पाती है ज़िन्दगी
प्यार गर न मिले तो
सूखे पत्तों की तरह मुरझा जाती है ज़िन्दगी |
मौलिक एवं…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 6, 2016 at 10:30pm — 10 Comments
छम छम करती हुई
आयी जब वो छत पर
चाँद भी जैसे ठहर सा गया
यौवन उसका देखकर
श्वेत वस्त्रों में लिपटी हुई
कुछ शरमाई कुछ अलसायी
देख रही थी बादलों को
लगा मानो कह रही हो
बुला दो मेरे प्रियतम को
देख उसको बादल भी बरस पड़े
पीड़ा थी जुदाई की
या थी प्रीत की जीत
चाँद भी जा चूका था
बादल भी बरस गये
पिया के दरस को
नयन भी तरस गये |
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 5:20pm — 10 Comments
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