क़लम रुक रही है बहर खो रही है,
खड़ी है मुसलसल गज़ल रो रही है।
मुझे यूं ग़ज़ल से मुखातिब कराया,
तरन्नुम से मेरा जहाँ जगमगाया,…
Added by इमरान खान on October 13, 2011 at 11:31am — 5 Comments
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