2122 2122 212
गर अदब में नाम की दरकार है।
तो ग़ज़ल कोई नयी दरकार है।।
तू किसी को देख ले ग़मगीन तो।
आँख में तेरी नमी दरकार है।।
प्यार करते हो मुझे तुम भी अगर
इक नज़र चाहत भरी दरकार है।।
एक दूजे पे हमेशा हो यकीं।
दोस्ती में बस यही दरकार है।।
ये अँधेरा दूर होगा एक दिन।
इल्म की बस रौशनी दरकार है।।
बात सच्ची ही कहें हर शेर में।
शाइरी में ये रही दरकार है।।
तुम बढ़ा…
ContinueAdded by surender insan on October 1, 2018 at 12:00pm — 6 Comments
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