" त्योहारों के मौसम में इनकी बिक्री बहुत बढ़ गयी है " मुस्कुराते दुकानदारों की बातचीत सुनते हुए उसने देखा, फुटपाथ पर बिछे हुए तमाम देवी देवताओं के चित्र इसकी गवाही दे रहे थे |
" भगवान हर जगह होते हैं , उन्हें खोजने की जरुरत नहीं " , मंदिर में सुना ये प्रवचन उसे याद आ गया |
मौलिक एवम अप्रकाशित
Added by विनय कुमार on October 26, 2014 at 1:00am — 10 Comments
अभी हांथों की मेहँदी भी नहीं सूखी थी और ये हादसा |
" भगवान को यही मंजूर था " , लोग दिलासा दे रहे थे |
" लेकिन जिस भगवान को ये मंजूर था वो भगवान हमें मंजूर नहीं ", और उसके मन के भाव दृढ हो गए |
मौलिक एवम अप्रकाशित
Added by विनय कुमार on October 14, 2014 at 9:55pm — 8 Comments
"क्या बात है, आपने कुर्बानी क्यों नहीं दी इस बार ? "
"दरअसल क़ुरआन मजीद फिर से पढ़ ली थी मैंने |"
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(मौलिक और अप्रकाशित)
Added by विनय कुमार on October 6, 2014 at 9:00pm — 15 Comments
" अम्बे है मेरी माँ , दुर्गे है मेरी माँ " गुनगुनाते हुए बटोही गली में झाड़ू लगा रहा था | अचानक सामने से एक भीड़ आई और वो किनारे हट गया |
" अरे मिल गया रे झाड़ू " चिल्लाते हुए लोगों का हुजूम , जिसमे कुछ खद्दरधारी भी थे , बटोही की ओर बढ़ा | जब तक वो कुछ समझे , झाड़ू छीन लिया गया था और फिर भीड़ ने बारी बारी से झाड़ू लगाते हुए फोटो खिंचाई | इसी छीना छपटी में बेचारे बटोही का झाड़ू भी टूट गया |
" सर , मेरी फोटो देखी आपने , आजके सांध्यकालीन अखबार में छपी है " , बताते हुए नेताजी बहुत प्रसन्न थे |…
Added by विनय कुमार on October 2, 2014 at 1:00pm — 10 Comments
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