तानेज़नी पुरजोर है सियासत की गलियों में यहाँ ,
Added by shalini kaushik on October 28, 2012 at 2:56pm — 1 Comment
खत्म कर जिंदगी देखो मन ही मन मुस्कुराते हैं ,
Added by shalini kaushik on October 25, 2012 at 8:30pm — 3 Comments
झुका दूं शीश अपना ये बिना सोचे जिन चरणों में ,
ऐसे पावन चरण मेरे पिता के कहलाते हैं .
बेटे-बेटियों में फर्क जो करते यहाँ ,
ऐसे कम अक्लों को वे आईना दिखलाते हैं…
Added by shalini kaushik on October 21, 2012 at 1:00pm — 4 Comments
लगेंगी सदियाँ पाने में ......
Added by shalini kaushik on October 5, 2012 at 11:56pm — 4 Comments
एक की लाठी सत्य अहिंसा एक मूर्ति सादगी की,
Added by shalini kaushik on October 2, 2012 at 2:39pm — 4 Comments
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