For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Featured Blog Posts – November 2018 Archive (5)

प्रणय-हत्या

प्रणय-हत्या

किसी मूल्यवान "अनन्त" रिश्ते का अन्त

विस्तरित होती एक और नई श्यामल वेदना का

दहकता हुया आशंकाहत आरम्भ

है तुम्हारे लिए शायद घूम-घुमाकर कुछ और "बातें"

या है किसी व्यवसायिक हानि और लाभ का समीकरण

सुनती थी क्षण-भंगुर है मीठे समीर की हर मीठी झकोर

पर "अनन्त" भी धूल के बवन्डर-सा भंगुर है

क्या करूँ ... मेरे साँवले हुए प्यार ने यह कभी सोचा न…

Continue

Added by vijay nikore on November 9, 2018 at 6:30am — 6 Comments

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ६७

1212 1122 1212 22

.

हमारी रात उजालों से ख़ाली आई है

बड़ी उदास ये अबके दिवाली आई है //१



चमन उदास है कुछ यूँ ग़ुबारे हिज्राँ में

कली भी शाख़ पे ख़ुशबू से ख़ाली आई है //२ 




फ़ज़ा ख़मोश है घर की, अमा है सीने में

हमारा सोग मनाने रुदाली आई है //३ 



मवेशी खा गए या फिर है मारा पालों ने

कभी कभार ही फ़सलों पे बाली आई है…

Continue

Added by राज़ नवादवी on November 7, 2018 at 12:00pm — 16 Comments

ग़ज़ल -- नेकियाँ तो आपकी सारी भुला दी जाएँगी / दिनेश कुमार

2122---2122---2122---212

.

नेकियाँ तो आपकी सारी भुला दी जाएँगी

ग़लतियाँ राई भी हों, पर्वत बना दी जाएँगी

.

रौशनी दरकार होगी जब भी महलों को ज़रा

शह्र की सब झुग्गियाँ पल में जला दी जाएँगी

.

फिर कोई तस्वीर हाकिम को लगी है आइना

उँगलियाँ तय हैं मुसव्विर की कटा दी जाएँगी

.

इनके अरमानों की परवा अह्ले-महफ़िल को कहाँ

सुबह होते ही सभी शमएँ बुझा दी जाएँगी

.

नाम पत्थर पर शहीदों के लिखे तो जाएँगे

हाँ, मगर क़ुर्बानियाँ उनकी भुला दी…

Continue

Added by दिनेश कुमार on November 7, 2018 at 10:22am — 15 Comments

जलूँ  कैसे  तुम्हारे बिन - लक्ष्मण धामी"मुसाफिर" ( गजल )

१२२२/१२२२/१२२२/१२२२

अकेला हार जाऊँगा, जरा तुम साथ आओ तो

अमा की रात लम्बी है कोई दीपक जलाओ तो।१।



ये बाहर का अँधेरा तो  घड़ी भर के लिए है बस

सघन तम अंतसों में जो उसे आओ मिटाओ तो।२।



कहा बाती  मुझे  लेकिन  जलूँ  कैसे  तुम्हारे बिन

भले माटी, स्वयं को अब चलो दीपक बनाओ तो।३।



गरीबी, भूख,  नफरत, वासनाओं  का मिटेगा तम

इन्हें जड़ से मिटाने को सभी नित कर बटाओ तो।४।



महज दस्तूर को दीपक जलाते इस अमा को सब

बने हर जन…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 7, 2018 at 7:36am — 13 Comments

ग़ज़ल (ख़त्म कर के ही मुहब्बत का सफ़र जाऊंगा)

(फाइ इलातु न _फ इ लातुन _फ इ लातुन _फ़े लुन)

ख़त्म कर के ही मुहब्बत  का सफ़र जाऊंगा l

तू ने ठुकराया तो कूचे में ही मर जाऊँगा l

जो भी कहना है वो कह दीजिए ख़ामोश हैं क्यूँ

आपका फ़ैसला सुनके ही मैं घर जाऊँगा l

वकते आख़िर है मेरा पर्दा हटा दे अब तो

छोड़ कर मैं तेरे चहरे पे नज़र जाऊँगा l

आ गए वक़ते सितम अश्क अगर आँखों में

मैं सितमगर की निगाहों से उतर जाऊँगा l

लौट कर आऊंगा मैं सिर्फ़ तू इतना कह दे …

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on November 6, 2018 at 10:30am — 20 Comments

Featured Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service