2122 /1122 /1122 /22
मौसम-ए-इश्क हसीं प्यास जगा जाता है
प्रेमी जोड़ों का सुकूँ चैन चुरा जाता है
दिल की धड़कन को बढ़ा सीने में तूफ़ान छुपा
मौसम-ए-इश्क दबे पाँब चला जाता है
सर्द हो रात हो बरसात का मादक मंजर
मौसम-ए-इश्क सदा सब को जला जाता है
दर्द ऐसा भी है, अहसास सुखद है जिसका
मौसम-ए-इश्क वो अहसास करा जाता है
देख आँखों मे चमक गुल की यूँ हैराँ मत हो
मौसम-ए-इश्क हसी नूर…
Added by Dr Ashutosh Mishra on November 30, 2013 at 1:30pm — 19 Comments
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
पिला देती अगर साकी तो मैं भी बोल देता सच
हलक से गर उतर जाती तो मैं भी बोल देता सच
हसीं नगमे, हसीं जलवे, हसीं महफ़िल हसीनो की
हँसी रुसवा न गर होती तो मैं भी बोल देता सच
कहें शायर घनी काली घटाएं इन की जुल्फों को
न उनकी नींद गर उडती तो मैं भी बोल देता सच
बड़ी दिलकश हसीं कातिल चमकता चाँद सब कहते
हंसी गर सच को सह पाती तो मैं भी बोल देता सच
कतल होने मे गर आये मजा…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on November 21, 2013 at 4:30pm — 26 Comments
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