ईश कृपा से ही हुऐ, सात दशक ये पार,
बाँट सका सुख-दुख सदा,उन सबका आभार | - 1
सहयोगी मन भाव से, दिया जिन्होनें साथ,
आभारी उनका सदा, भली करेंगे नाथ | - 2
सीख मिली जिनसे सदा, उनका ऐसा कर्ज,
चुका सकूँ क्या मौल मै, पूरा करने फर्ज | = 3
गुरुजन को मै दे सकूँ, क्या ऐसी सौगात,
सूरज सम्मुख दीप की, आखिर क्या औकात |-4
कृपा करे माँ शारदा, तब कुछ मिलता ज्ञान,
विद्वजनों के योग से, लिया सदा संज्ञान | =…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2015 at 5:00pm — 8 Comments
हर द्वारे हम दीप जलाएं, उत्सव की हो शाम सदा
झूम झूम कर खूब नाचता, जंगल में है मोर सदा |
क्षण भंगुर ये जीवन अपना,
कर्म करे से सधता सपना |
रोने से क्या कुछ मिल पाए ?
आओ सब मिले हाथ मिलाएं, काम बाँटते रहे सदा,
हर द्वारे हम दीप - - - - - - - -
आतंक का मिल करे सामना,
रहे न ह्रदय में हीन भावना |
सबके सुख के दीप जलाएं
सब मिल डर को दूर भगाएं, ह्रदय भरे विश्वास सदा
हर द्वारे हम दीप - - - - - -- -…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 16, 2015 at 8:30pm — 6 Comments
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