सरकार की अपना करो बखान
क्या खूब किया इसने इंसाफ
खाली कर दिया देश खजाना
बचाने को आतंकी मियां “कसाब”
हत्याओं की लगा कतार
फाँसी लटके खुद भी यार
पाप की सजा जो तुमने पाई
पाक की इज्जत खाक मिलाई
आतंकियों का बन शिरोमणि
ताज पर बमो की झड़ी लगाई
बेगुनाहों का मार के यारा
माफ़ी की फिर गुहार लगाई
जख्म भी ऐसे दिए जहाँ को
शैतान भी ले सर झुका
जेल में रह कर भी
पड़ा ना…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on November 22, 2012 at 11:30am — 6 Comments
आओ मिलकर दीप जलाये
दीप, लड़ियों से घर सजा
हर तरह का तम मिटा
जग को प्रकाश की सौगात दिलाये
आओ मिलकर दीप जलाये
प्रेम की ज्योति जला के हृदय
बैर से मुक्ति, जग दिलाये
उपहार में बाँट के सदभावना
मीठास की ऐसी रीत चलाये
आओ मिलकर दीप जलाये
क्रोध अग्नि को विजित कर
सयंम में खुद नियंत्रित कर
विन्रमता का सबको पाठ पढाये
देश में प्रेम की लहर चलाये
आओ मिलकर दीप…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on November 10, 2012 at 12:10pm — 4 Comments
दास्ताँ है यें जीव की
वस्त्र ढ़के, मृत शरीर की
वृद्ध होते ही छोड़ चलें
नींव लिखने, नई तकदीर की
प्रीती जाती जब, हृदय जग
दो तनो कर, एक मन
बीज से जाता पराग बन
भू धरा पर ले जन्म
पंचतत्वो का कर संगम
पाया जग में मानव तन
शिशु से किशोर तक
रूप बनाया मन भावन
अटखेलियाँ कर कर के
हर्षित करता सबका मन
शिक्षा का वो कर अध्ययन
ज्ञान से करता जग रोशन
अध्यन का समय हुआ…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on November 9, 2012 at 5:32pm — 2 Comments
नये जीवन की शुरुआत करें हम
मृत्यु से ना कभी डरे हम
कर्मभूमि बना धरा को
स्थापित प्रमाण अपने करें हम
गीता उपदेश को ध्यान रख
समाहित धर्म कर्म को कर
ज्ञान बीज की उपज करें हम
कर्म को पूजा मान के अपनी
चेतना वृक्ष तैयार करें हम
आओ नए जीवन की शुरुआत करें हम
आसक्त ना हो भौतिक जगत से
अपने अंतर्मन से ध्यान धरे हम
कौन हूँ मैं, कहा से आया
किस मनसा से जग में आया
क्या खोया, और…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on November 8, 2012 at 10:37am — 5 Comments
विरह की बेला चुप सी आती
कर्मभूमि और गृहस्ती में
होले होले कदम बढाती
सुख समृधि को, मिटा
अंतर्मन में भेद करा
मन की शांति, भंग कर जाती
काल चक्र सा एक रचा
रह रह कर
भ्रम जाल में हमें फंसाती
ढंग बेढंग के करतब करा
इन्सान से हमको,
पशु बनाती
वक़्त की नजाकत को समझ
नट बना, इंसान नचाती
ऐसा अपना रंग दिखाती
जब तक समझ में
आता कुछ भी
तब तक सब कुछ
धुल में सब कुछ ये मिलाती
पल भर में ये नेत्र भिगो
हमारे अस्तिव का बोध कराती
लहर…
Added by PHOOL SINGH on November 5, 2012 at 2:30pm — 1 Comment
वचन दिया जो तुमने प्रीतम
जीवन भर साथ निभाने का
पवित्र अग्नि को साक्षी मान
परिस्तिथियों से ना घबराने का
साथ फेरों का बंधन दे
अपना बनाया मेरा मन
हर ख़ुशी कर, मुझे अर्पण
प्रेम की ज्योति चित जगा
कदम मिलाकर चलूंगी में भी
बन संगनी तेरी हमदम
सूर्योदय से सूर्यास्त तक
तुझे निहारूं
लम्बी उम्र की दुआ मैं मांगूं
नेत्र में तेरा अक्स बना
तुझे मैं चाहूं उम्र भर
हर पल और जीवन…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on November 3, 2012 at 1:07pm — No Comments
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