निरंतरता
निरंतरता?
निरंतरता क्या है?
यही न
कि पलक के झपकते ही यहाँ
सब बदल जाता है निरंतर
उतर-उतर जाता है दिन
फिसलते हर पल की तरह ...
मेरे उसे जी लेने से पहले
बार-बार
बदल-बदल जाने की निरंतरता
"कल के वायदे
कल के थे
आज की बात कुछ और"
मात्र इतना ही कह कर
बदल जाते हैं दिल ...
हाथ में आया न आया तब
सब छूट जाता है, टूट जाता है
मन का…
ContinueAdded by vijay nikore on November 26, 2013 at 9:30am — 24 Comments
सैलाब
अश्कों के बहते सैलाब से जूझते
जब-जब उस आख़री खत को पढ़ा
बेचैन दुखती आँख से मेरी , हर बार
काँपता आँसू वह तुम्हारा था टपका ...
कहती थी, खुदा से बात की है तुमने
सुख-दुख हमेशा साझा रहेगा हमारा
अच्छा था फ़ैसला यह तुम्हारे खुदा का
खुश हूँ, तुम्हारा दुख तो अब मेरा रहेगा।
कितनी बातें थीं बाकी अभी तो करने को
सिर्फ़ मौसम पर बातें करने के अलावा
दुहरा दिया क्यूँ यादों ने वह किस्सा…
ContinueAdded by vijay nikore on November 19, 2013 at 7:00am — 26 Comments
स्वप्न विलक्षण:
स्मृतिओं की सुखद फुहारें
झिलमिलाती चाँदनी
की किरणों की झालरें
अनन्त तारिकाएँ
सपने में ... और सपने में साक्षात
तुम ... कब से
पूनों में, अमावस में, मध्य-रात्रि के सूने में
इस एक सपने से तुमने, मुझसे
रखा है अविरल अटूट संबंध
वरना स्मृति-पटल पर चन्द्र-किरण-सा
कभी प्रकाश-दीप-सा तैरता
यूँ लौट-लौट न आता ...
…
ContinueAdded by vijay nikore on November 10, 2013 at 6:30am — 34 Comments
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