For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव's Blog – November 2018 Archive (3)

हौं पंडितन केर पछलगा *उपन्यास का एक अंश )

चौदहवीं की रात I निशीथ का समय I चाँद अपने पूरे शबाब पर I जायस के कजियाना मोहल्ले में एक छोटे से घर की छत पर गोंदरी बिछाए वही लम्बी सी पतली लडकी लेटी थी I उसकी सपनीली आँखों से नींद आज गायब थी I उसकी आँखों के सामने मुहम्मद का भोला किंतु खूबसूरत चेहरा बार-बार घूम जाता I कभी-कभी ऐसी नाटकीय घटनायें हो जाती हैं कि हम बेक़सूर होकर भी दूसरे की निगाहों में कसूरवार हो जाते हैं I उस लड़के ने मुझे उस हंगामे से बचाया I मेरा हाथ थामा I मुझे पानी से निकाला I हाथ थामने के मुहावरे का अर्थ सोचकर उसे उस सन्नाटे…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 29, 2018 at 10:02pm — 2 Comments

गीत (212 X 4)

पास इतना जो मन के वे आते नहीं

स्यात नयनों से यूं दूर होते नहीं

मिल के सपनों के दुनिया बसाते न जो

काँच के ये महल चूर होते नहीं 

 

अब तो बर्बाद हूँ लुट गया हूँ सनम 

अर्धविक्षिप्त हूँ और बेहाल हूँ 

सोहनी-सोहनी रट रहा हूँ मगर

गम का मारा हुआ एक महिवाल हूँ

 

कोई गहरी अगर चोट खाते न जो 

इस कदर दिल से मजबूर होते नही

पास इतना...

 

हमने वादा किया साथ मरने का था

क्योंकि जीना हमें रास आया…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 20, 2018 at 12:30pm — 4 Comments

हौं पंडितन केर पछलगा (उपन्यास का एक अंश )

 

         बैसाख की दुपहरी में कंचाना खुर्द मोहल्ला बड़ा शांत था I गर्मी के कारण औरतें घरों में दुबकी थीं और मर्द घर के बाहर अधिकांशतः नीम या किसी अन्य पेड़ के नीचे आराम फरमा रहे थे I फ़कीर इस मोहल्ले में बड़े कुंए की तलाश करता-करता एक बड़े से उत्तरमुख घर के पास पहुँचा, जिसकी चार दीवारी के अन्दर आम, नीम व बरगद एवं पाकड़ आदि के कुछ पेड़ थे I घर का मालिक एक अधेड़ सा व्यक्ति बरगद के नीचे बड़े से तख़्त पर नीली लुंगी और सफ़ेद बनियाइन पहने लेटा था I…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 19, 2018 at 5:25pm — 3 Comments

Monthly Archives

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
Monday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
Monday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service